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8 Oct 2016 · 1 min read

चले भी आओ

प्रिय चले भी आओ
बीत गया सावन भी पिया
बूँद मिली ना जल की पिया
एक ओर मौसम की ज्वाला
दूसरा तेरा मुझसे दूर जाना
आग मे घी सा दहकाता है

सूखे सारे मौसम तेरे जाने से
हलचल मन में याद आने से
सूखी लकड़ी सी पतझड से
दर्द पुकारता तुझे अंग-अंग से
पुरवा हवाएँ बहती रग-रग से
प्रिय चले भी आओ

प्रान प्रिय मेरे तुम रखवाले
आकाश के तारे से तुम प्यारे
मेरी वेदना को तुम सम्हाले
ये विरह दावानल सा जलावे
तन-मन हर-क्षण आग लगावे
प्रिय चले भी आओ

Language: Hindi
73 Likes · 514 Views
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