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15 Apr 2022 · 1 min read

ग्रीष्म ऋतु भाग ४

दोपहरी आते ही धरा कण
अग्निकुंड रूप धरने लगे है।
देहाती जन के दिन अब तो
आम्र की छांव में कटने लगे हैं।
वन प्राणी सब किरिन्दरा व
बरगद जल में बटने लगे हैं।
ग्रीष्म काल इस दोपहरी में
धरा से जिगने उड़ने लगे हैं।

-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’

््््््््््््््््््््््््््््््््््््््

Language: Hindi
1 Like · 591 Views
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