गौमाता
गौमाता
तैंतीस कोटि देवों ने भी
जिसे बनाया अपना धाम ,
ऐसी गौ माता को हम
निश – दिन करें प्रणाम ।।
गौमाता के हित में देखो
भगवन भी गोपाल बने ,
ग्वाल बाल संग लीला करके
श्री गोवर्धन लाल बने ।।
हम मानुष होकर भी देखो
मान न गौ को दे पाते हैं ,
राह राह भटकती है वो
आश्रय भी न बना पाते हैं ।
दूध दही माखन उसका
सबको बड़ा लुभाता है ,
औषधि का रूप है गौरस
लाभ बहुत पहुँचाता है ।।
मानुष ज्ञानी होकर भी तुम
क्यों अज्ञानी हो बने हुए ,
उसे हटा लो चौराहों से
वहाँ गौभक्षी हैं खड़े हुए ।।
गौ रक्षा का संकल्प करो
सम्मान उसका वापस लाओ ,
पूजनीय बने वो घर घर में
संदेश धरा पर है फैलाओ ।।
डॉ रीता
आया नगर , नई दिल्ली