–हमनें रिस्ता जोड़ लिया–
हमने रिश्ता जोड़ लिया,तेरी सीरत देख के।
देखो खफ़ा न होना तुम,मेरी सीरत देख के।।
दिल में उठे सवाल कहीं,ख़ंजर-से न चुभ जाएं।
राज छिपाना छोड़ दिया,तेरी सीरत देख के।।
दिल की ये हसरतें कहना,कोई ग़ुनाह तो नहीं।
वफ़ा-ए-पर्दा खोल दिया,तेरी सीरत देख के।।
हम दिल के थे नरम बहुत,चाहे ऊपर से ग़रम।
ग़र्मी खाना छोड़ दिया,तेरी सीरत देख के।।
तन्हा रहना ख़लता है,साथ तुम्हारा चाहिए।
आहें भरना छोड़ दिया,तेरी सीरत देख के।।
……..राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”