Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2017 · 1 min read

ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं)

जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं
अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं

वह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं
जब हकीकत हम उनको समझाने लगते हैं

जिस गलती पर हमको वह समझाने लगते है
वही गलती को फिर वह दोहराने लगते हैं

आज दर्द खिंच कर मेरे पास आने लगतें हैं
शायद दर्द से मेरे रिश्ते पुराने लगतें हैं

दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं
मदन दुश्मन आज सारे जाने पहचाने लगते हैं

ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं)
मदन मोहन सक्सेना

260 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कृतज्ञ बनें
कृतज्ञ बनें
Sanjay ' शून्य'
यही सच है कि हासिल ज़िंदगी का
यही सच है कि हासिल ज़िंदगी का
Neeraj Naveed
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
Satish Srijan
बचपन -- फिर से ???
बचपन -- फिर से ???
Manju Singh
देश प्रेम
देश प्रेम
Dr Parveen Thakur
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
श्रृंगार
श्रृंगार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
😊अपडेट😊
😊अपडेट😊
*Author प्रणय प्रभात*
संदेश बिन विधा
संदेश बिन विधा
Mahender Singh Manu
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
नारी अस्मिता
नारी अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"वक्त" भी बड़े ही कमाल
नेताम आर सी
"उम्मीदों की जुबानी"
Dr. Kishan tandon kranti
दुनिया के मेले
दुनिया के मेले
Shekhar Chandra Mitra
बिडम्बना
बिडम्बना
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
रूठे लफ़्ज़
रूठे लफ़्ज़
Alok Saxena
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
अगर कोई अच्छा खासा अवगुण है तो लोगों की उम्मीद होगी आप उस अव
अगर कोई अच्छा खासा अवगुण है तो लोगों की उम्मीद होगी आप उस अव
Dr. Rajeev Jain
छप्पन भोग
छप्पन भोग
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आजादी की चाहत
आजादी की चाहत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
Neelam Sharma
कूड़े के ढेर में भी
कूड़े के ढेर में भी
Dr fauzia Naseem shad
" छोटा सिक्का"
Dr Meenu Poonia
एक कविता उनके लिए
एक कविता उनके लिए
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मिसाल (कविता)
मिसाल (कविता)
Kanchan Khanna
Loading...