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24 Sep 2016 · 1 min read

गरीबी का मजाक (रिम्स घटना पर रचना)

क तुम यूँ मेरी गरीबी का मजाक मत उड़ाओ,
परमपिता परमात्मा के खेल बड़े निराले हैं।
इतिहास पढ़ना फुर्सत में सच जान जाओगे,
रंक से राजा और राजा से रंक बना डाले हैं।

ये अपमान केवल मेरा नहीं अन्न का भी है,
नसीबों वाले को ही मिलते इसके निवाले हैं।
एक दिन तरसोगे तुम दाने दाने को देखना,
अभी तो अमीरी के पड़ें आँखों पर जाले हैं।

अख़बार में पढ़कर खबर हल्ला मचा दिया,
पर हकीकत में हमने मुँह पर लगाये ताले हैं।
सरकार जाँच बिठाकर पल्ला झाड़ लेगी,
पहले भी सरकार ने बड़े बड़े मामले टाले हैं।

सुलक्षणा दोष किसका है तुम ही बता दो,
सच्चाई यही है इंसान आज मन से काले हैं।
तीन सौ करोड़ सालाना बजट है रिम्स का,
फिर भी हम गरीबों के लिए बर्तनों के लाले हैं।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत े

Language: Hindi
459 Views
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