कोशिश बेकार होती है
**********कोशिश बेकार होती है*********
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काफिया-आर रदीफ़-होती है
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बदल दे भाग्य को काबिल वही सरकार होती है,
हमेशा रंज हल को काबिज खड़ी तैयार होती है।
मनों में भेद कर जाती समझदारी सियासत की,
कभी भी झूठ के बल पर न नैया पार होती है।
कमाई दो टके बातें न हो कीमत गिरावट की,
करे क्या जन कभी जब मंहगाई की मार होती है।
ख़िलाफ़त सदा होती लगे जब आग विरोधों की,
खिलाफ़ी में सजग जनता बलां की धार होती है।
न पकड़े जो रजम को हारता है जंग जीवन की,
सदा ही जीत जाते हैं तेज गर तलवार होती है।
सुनो वादाखिलाफी की सजा है हार मनसीरत,
चला जाए समय कोशिश सभी बेकार होती है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)