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24 Apr 2022 · 1 min read

कुछ नहीं

मन मना ही कर रहा है
पर मनाही कुछ नहीं
आ गई है इक सुनामी
पर तबाही कुछ नहीं

मन के कोरे से पटल पर
श्वेत से लिख डाला है कुछ
न जाने कैसे? हैं रंग उकेरे
पर थी स्याही कुछ नहीं
मन मना ही कर रहा है
पर मनाही कुछ नहीं

तोड़ डाले हैं भरम के
ख्वाब होंगे मुकम्मल
स्वप्न भी वीरान है अब
आवा- जाही कुछ नहीं
मन मना ही कर रहा है
पर मनाही कुछ नहीं

होना तो बस वही है होना
ऊपर वाला चाहता जो
फिर भी नास्तिक कह रहे हैं
के इलाही कुछ नहीं
मन मना ही कर रहा है
पर मनाही कुछ नहीं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

इलाही -ईश्वर

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 486 Views
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