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25 Jan 2017 · 1 min read

कुछ नये दोहे

1–
धन को काला कह रहे, देखो अपना रूप,
लाइन वो भी लग रहे, कल तक जो थे भूप।।

2–
तुलना अब न कीजिए, ये है जहर समान।

कैसा आया वक्त है, नमक हुआ हराम।।

3–
सेना कभी न कर सके, दो पल भी आराम।
लाइन जो लगनी पड़ी, कोसे लोग तमाम।।

4–
बटुआ था प्यार का, खाली ही रह गया।।
भरते रहे प्यार को, पाप घडा भर गया।।

5–
पी बिना जी ना लगे, पी बिना ना चैन।।
सदियों लम्बी लग रही, छोटी थी जो रैन।।

6–
बात नोट की कीजिए, न कीजै कुछ काम।।

पैसे की माला जपै, छोड़ राम का नाम।।

7–
विषमय नीर हो गया, हुए विषैले वन।

प्यार है लालच बना, विषधर बैठे मन।।

8–
आंगन सूना हो गया, सूना हर इतवार।

पिया के घर बस गयी, छोड मेरा संसार।।

स्वरचित।

अमित मौर्य

+91-7849894373

Language: Hindi
1 Like · 714 Views
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