किसान
पारस जैसे उसके हाथ है
बंजर जमीन को भी
बना देता वह मूल्यवान है।
हरियाली होती जब उसके खेत में
खुशहाली आती तब उसके घर में।
हर मौसम को वह अपना दोस्त बनाता
और अपनी फसल लहराता।
तब सही मायनों में वह
किसान कहलाया जाता।
बाढ़, सूखा और कीटाणु से वह
हमेशा हार ही जाता है।
तब घर पर उसके अचानक
मातम छा जाता है।
और तब उस बेचारे को
फांसी-ज़हर अपनाना पड़ जाता है।
– श्रीयांश गुप्ता