Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Sep 2017 · 1 min read

किताब

सोचा एक किताब लिखूं।
उसमें तेरा जिक्र लिखूं।
सुबह से शाम हुई।
सोचते हुए रात भी बीती ।
क्या लिखूं समझ न आया।
तू तस्वीर है या मेरा साया।
सांसों में बसा लिखूं।
या धड़कनों में समाया।
कश्मकश थी अजीब।
प्रतीक्षा की घड़ी भी करीब।
धड़कनें धड़क रही थी।
नाम से तेरे।
सांसें भी चल रही थी।
आस में बस तेरी।
रोमछिद्रों में तेरा वास।
तुझ बिन न लूँ मैं स्वास।
हार गयी,थक कर चूर हुई।
आदि मिला न अंत तेरा।
तन-मन की बात नहीं।
तू तो बसा है आत्मा में।
मिश्री की तरह।
समाया है लहू में।
सुर्ख रंग की तरह।
कैसे अलग तू और मैं।
मेरे प्रीतम अब तू ही बता।
जीवन की अनन्त गहराइयों में।
तेरा ही अक्स, तेरा ही साया।
अब कैसे मैं तेरा जिक्र करूँ।
कैसे मैं कोई ग्रन्थ लिखूं।
सोचा फिर एक किताब लिखूं।।

आरती लोहनी

Language: Hindi
1 Like · 530 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
3201.*पूर्णिका*
3201.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
★फसल किसान की जान हिंदुस्तान की★
★फसल किसान की जान हिंदुस्तान की★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
अजहर अली (An Explorer of Life)
छोटी-सी मदद
छोटी-सी मदद
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वो ओस की बूंदे और यादें
वो ओस की बूंदे और यादें
Neeraj Agarwal
माना कि दुनिया बहुत बुरी है
माना कि दुनिया बहुत बुरी है
Shekhar Chandra Mitra
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
Mohan Pandey
🥀✍*अज्ञानी की*🥀
🥀✍*अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क्यों नहीं देती हो तुम, साफ जवाब मुझको
क्यों नहीं देती हो तुम, साफ जवाब मुझको
gurudeenverma198
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
Life is too short to admire,
Life is too short to admire,
Sakshi Tripathi
खेल और भावना
खेल और भावना
Mahender Singh
"यही वक्त है"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
#क़तआ
#क़तआ
*Author प्रणय प्रभात*
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चंद्र ग्रहण के बाद ही, बदलेगी तस्वीर
चंद्र ग्रहण के बाद ही, बदलेगी तस्वीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पिछले पन्ने 7
पिछले पन्ने 7
Paras Nath Jha
रामपुर में दंत चिकित्सा की आधी सदी के पर्याय डॉ. एच. एस. सक्सेना : एक मुलाकात
रामपुर में दंत चिकित्सा की आधी सदी के पर्याय डॉ. एच. एस. सक्सेना : एक मुलाकात
Ravi Prakash
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Even If I Ever Died
Even If I Ever Died
Manisha Manjari
जय माता दी ।
जय माता दी ।
Anil Mishra Prahari
मयस्सर नहीं अदब..
मयस्सर नहीं अदब..
Vijay kumar Pandey
मातृभूमि
मातृभूमि
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...