Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2018 · 1 min read

कविता – “मैं अटल हूँ”

स्वयं के आत्मबल का साक्षात्कार कराती एक दिव्य कविता जो माननीय पूर्व प्रधानमंत्री एवं मूर्धन्य कवि, महान राष्ट्रभक्त और ग्वालियर के गौरव लाड़ले सपूत स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित है और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके पुण्यतिथि दिवस पर 16 अगस्त 2018 को लिखी गई है |

“कविता- मैं अटल हूँ”

1. बिहंगों सा चहकता मैं,
चाँद सा और चमकता मैं,
विद्युत लड़ी की माल सा,
और दामिनी सा दमकता मैं |
मैं चपल हूँ, मैं चपल हूँ, मैं अटल हूँ ||

2. मैं विवस्वत के वलय सा,
सिंधु में आती प्रलय सा,
मैं निडर हूँ सिंह सा और
अडिग हूँ मैं हिमालय सा |
मैं अचल हूँ, मैं अचल हूँ, मैं अटल हूँ ||

3. सूर्य की एक ज्वाल जैसा,
अंगार की मैं माल जैसा,
काल से डरता नहीं मैं,
काल के भी काल जैसा |
मैं प्रबल हूँ, मैं प्रबल हूँ, मैं अटल हूँ ||

4. भार्गव परशु का खण्ड हूँ,
पावक सा भी प्रचण्ड हूँ,
श्रीकृष्ण के वचनों से जाना,
मैं आत्मा अखण्ड हूँ |
मैं धवल हूँ, मैं धवल हूँ, मैं अटल हूँ ||

5. मृत्यु से क्योंकर डरूँ मैं,
शत्रु का भय क्यों करूँ मैं,
जीवन हूँ चिर मैं नित्य हूँ,
हर क्षण को ही फिर क्यों मरूँ मैं ?
मैं सबल हूँ, मैं सबल हूँ, मैं अटल हूँ ||

कवि शिवम् सिंह सिसौदिया ‘अश्रु’
ग्वालियर, मध्यप्रदेश,
सम्पर्क- 8602810884, 8517070519

Language: Hindi
2 Likes · 475 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कहा था जिसे अपना दुश्मन सभी ने
कहा था जिसे अपना दुश्मन सभी ने
Johnny Ahmed 'क़ैस'
रिश्ते
रिश्ते
Ram Krishan Rastogi
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
Dr.Rashmi Mishra
जाग री सखि
जाग री सखि
Arti Bhadauria
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तुम ख्वाब हो।
तुम ख्वाब हो।
Taj Mohammad
आफ़त
आफ़त
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
मंहगाई  को वश में जो शासक
मंहगाई को वश में जो शासक
DrLakshman Jha Parimal
#लघुकथा / #सम्मान
#लघुकथा / #सम्मान
*Author प्रणय प्रभात*
*मतलब इस संसार का, समझो एक सराय (कुंडलिया)*
*मतलब इस संसार का, समझो एक सराय (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"अवसाद"
Dr Meenu Poonia
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
ତୁମ ର ହସ
ତୁମ ର ହସ
Otteri Selvakumar
दुआ नहीं होना
दुआ नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कोई पूछे की ग़म है क्या?
कोई पूछे की ग़म है क्या?
Ranjana Verma
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
विवाह रचाने वाले बंदर / MUSAFIR BAITHA
विवाह रचाने वाले बंदर / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
2769. *पूर्णिका*
2769. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
****मतदान करो****
****मतदान करो****
Kavita Chouhan
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
Atul "Krishn"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
दिल में आग , जिद और हौसला बुलंद,
दिल में आग , जिद और हौसला बुलंद,
कवि दीपक बवेजा
(8) मैं और तुम (शून्य- सृष्टि )
(8) मैं और तुम (शून्य- सृष्टि )
Kishore Nigam
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
Rj Anand Prajapati
Dear me
Dear me
पूर्वार्थ
*पशु से भिन्न दिखने वाला .... !*
*पशु से भिन्न दिखने वाला .... !*
नेताम आर सी
Loading...