Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2016 · 1 min read

कविता – जलायें दिये पर रहे ध्यान इतना

जलायें दिये पर रहे ध्यान इतना ,
हरकोई मिट्टी वाले दीपक जलाये ।
भगाये अंधेरा सम्पूर्ण धरा का ,
मगर दिलों में अंधेरा रहने न पाये ।। जलायें……
खरीदें न सामन एक भी विदेशी ,
समृद्ध करें देश खरीदकर स्वदेशी ।
जिससे मने गरीब की भी दिवाली ,
देश का धन न लेजा पाये परदेशी ।
देश का धन देश के काम आये ।। जलायें ……..
चलायें पटाखे बड़े ध्यान से हम ,
मनायें दिवाली स्वाभिमान से हम ।
मिठाई खील खिलौने सब खूब खायें ,
माँ लक्ष्मी जी को पूजें सम्मान से हम ।
करें कुछ ऐसा खुशियाँ हर कोई मनाये ।। जलायें……….. *दीपावली की सभी को अग्रिम बधाईयाँ *
निवेदक :- डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 350 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#एकताको_अंकगणित
#एकताको_अंकगणित
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
महक कहां बचती है
महक कहां बचती है
Surinder blackpen
आया बाढ नग पहाड़ पे🌷✍️
आया बाढ नग पहाड़ पे🌷✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
असतो मा सद्गमय
असतो मा सद्गमय
Kanchan Khanna
पुराने सिक्के
पुराने सिक्के
Satish Srijan
चुभते शूल.......
चुभते शूल.......
Kavita Chouhan
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
अभिनव अदम्य
प्रकृति और तुम
प्रकृति और तुम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
🇮🇳🇮🇳*
🇮🇳🇮🇳*"तिरंगा झंडा"* 🇮🇳🇮🇳
Shashi kala vyas
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
शिव प्रताप लोधी
प्रेम पीड़ा
प्रेम पीड़ा
Shivkumar barman
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो.....
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो.....
Neelam Sharma
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
इश्क़—ए—काशी
इश्क़—ए—काशी
Astuti Kumari
*दूसरी अपनी काया 【कुंडलिया】*
*दूसरी अपनी काया 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
एक हमदर्द थी वो.........
एक हमदर्द थी वो.........
Aditya Prakash
काश
काश
लक्ष्मी सिंह
राह नीर की छोड़
राह नीर की छोड़
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चंद दोहे....
चंद दोहे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
मैं तो महज आवाज हूँ
मैं तो महज आवाज हूँ
VINOD CHAUHAN
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
Rahul Smit
नेता पलटू राम
नेता पलटू राम
Jatashankar Prajapati
नारी के हर रूप को
नारी के हर रूप को
Dr fauzia Naseem shad
■ बसंत पंचमी
■ बसंत पंचमी
*Author प्रणय प्रभात*
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी
Vishal babu (vishu)
Loading...