कविता??लेना हौंसले से काम??
आएंगी मुसीबतें,लेना हौसले से काम।
ज़िंदगी संघर्ष है,मिलता नहीं आराम।।
उम्रे-तम है लम्बी,खुशी के कम पैग़ाम।
ग़म में हँसना सीखा, खुशी हुई ग़ुलाम।।
पकंज चाहे जग,लो इससे सीख बड़ी।
रात में चाँद-सा हँसना,है ज़िंदगी नाम।।
काँटे चुभे कलियाँ खिलें न घबराना तुम।
उगते सूरज को ही,ये जग करे सलाम।।
तन्हा चलोगे एकदिन काफ़िला बनेगा।
हर ज़ुबां पर होगा,एक तेरा ही बस नाम।।
“प्रीतम”तेरे हौसले को,सज़दा करूं सदा।
ग़म मिला कभी,किया मुस्क़रा एहतराम।।
राधेश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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