Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2016 · 2 min read

कविता।तुमको इक दिन आना है ।

गीत।तुमको इक दिन आना है ।।

विश्वासों की पृष्टिभूमि पर
प्रेम का महल बनाया हूँ
भावों की नक्कासी करके
दुनियां को झुठलाया हूँ
फिर भी ख़ाली
ख़ाली सा यह
नीरस ताना बाना है ।
तुमको इक दिन आना है ।1।।

आश्वाशन की राह चला मैं
मिली जीत न मुझको हार
अवसर पाकर करे बुराई
बेबस हृदय पर प्रहार
सह लूँगा हर
घाव हृदय पर
फिर भी मंजिल पाना है ।
तुमको इक दिन आना है ।।2।।

मन मन्दिर में बनी सीढ़ियां
सुखमय यादों तक जाती
बाट जोहती प्यासी आँखे
रह रह जब तब थक जाती
पलको से
ढरते है आँसू
कुछ दिन और बहाना है ।
तुमको इक दिन आना है ।।3।।

जिस दिन निकले चाँद गगन में
मेरी हँसी उड़ाता है
उगता सूरज आग बबूला
होकर मुझे जलाता है
पथ्थर तो मैं नही
परन्तु
पथ्थर ही बन जाना है ।
तुमको इक दिन पाना है ।। 4।।

अंधकार की नदी मोहिनी
उफनाती ले जल की धार
मैं तटबन्धों से प्रयासरत
तुम तो बसते हो उस पार
डरा नही
पर रुका रहूँगा
हठ की नाव चलाना है ।।
तुमको इक दिन आना है । 5।।

मेघ कपासी ठहर गये है
नयनो के भर आने से
मुस्काती है इंद्रधनुष भी
वर्षा के रुक जाने से
सन्नाटों के
कर्कश तानों
का भी दर्द उठाना है ।
तुमको इक दिन आना है ।। 6।।

ये मत सोचो रहे फ़ासला
तो हो जाऊंगा भयभीत
है अटूट अनवरत निरन्तर
तेरे मेरे मन की प्रीत
प्रतिबिम्बों के
एक सहारे
सचमुच दिल हर्षाना है ।।
तुमको इक दिन आना है ।।7।।

इस समाज के थोथे बन्धन
झूठी परम्पराओं से
बधा हुआ यह गात अचेतन
तुम हृदय तक भावों से
भाव शून्य हो
शिखर बिंदु को
पाकर गले लगाना है ।
तुमको इक दिन आना है ।।8।।

धुँधली है काया तेरी
पर तुमसे है हर कोना
मेरे सपनो की दुनियां में
सजता रूप सलोना
दो इक दिन की
दूरी है फिर
तो तुममे मिल जाना है ।।
तुमको इक दिन आना है।।9।।

हे ईश्वर नित आशाओं का
उर में हो निर्माण
ताकि जीवन के अनुभव का
मिले मुझे प्रमाण
कृपा नेह से
अवनत सर को
चरणों में सदा झुकना है ।।
तुमको इक दिन आना है ।।10।।

©राम केश मिश्र

Language: Hindi
449 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
कृष्णकांत गुर्जर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
#मंगलकामनाएं
#मंगलकामनाएं
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त
वक्त
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
एस. पी.
एस. पी.
Dr. Pradeep Kumar Sharma
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कवि दीपक बवेजा
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
sushil sarna
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
भक्त गोरा कुम्हार
भक्त गोरा कुम्हार
Pravesh Shinde
मंजिल तक का संघर्ष
मंजिल तक का संघर्ष
Praveen Sain
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
Lokesh Singh
.............सही .......
.............सही .......
Naushaba Suriya
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
पूर्वार्थ
रक्षाबन्धन
रक्षाबन्धन
कार्तिक नितिन शर्मा
2534.पूर्णिका
2534.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्राणदायिनी वृक्ष
प्राणदायिनी वृक्ष
AMRESH KUMAR VERMA
"दण्डकारण्य"
Dr. Kishan tandon kranti
मनोहन
मनोहन
Seema gupta,Alwar
मेरे उर के छाले।
मेरे उर के छाले।
Anil Mishra Prahari
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-172💐
💐प्रेम कौतुक-172💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कृषक
कृषक
साहिल
सुधार आगे के लिए परिवेश
सुधार आगे के लिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बिना शर्त खुशी
बिना शर्त खुशी
Rohit yadav
चन्द्रमाँ
चन्द्रमाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
मातृ भाषा हिन्दी
मातृ भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*जीवित हैं तो लाभ यही है, प्रभु के गुण हम गाऍंगे (हिंदी गजल)
*जीवित हैं तो लाभ यही है, प्रभु के गुण हम गाऍंगे (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
Loading...