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1 Sep 2016 · 1 min read

करवट हर रुकी बात दे रही

तेरी खुशबू छू रही हे जो ठहरी है कल की
कुछ रात की कुछ सुबह की याद दे रही

आसमान तक झांके जिसको खिड़की से आके
वो मुलाक़ात सिरहाने को तकिया दे रही

बातें छांटें बातो में बातें रुकी आके
वो रातें जिन्हें आँखें सपनो का पानी दे रहीं

बदले बदले लगे सुबह को तकिये सिरहाने
जिनकी बांहो को करवट हर रुकी बात दे रही

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