Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2022 · 2 min read

कन्यादान क्यों और किसलिए [भाग ७]

फिर भी मैं आपसे पूँछती हूँ पापा,
क्यों न इस रस्म से इनकार किया ।
क्यों समाज की कठपुतली बन,
आपने मेरा कन्यादान किया।

मैं फिर आपसे पूछती हूँ पापा !
ऐसे रस्म रिवाज का क्या?
जिसमें सबका का दिल दुखे,
ऐसे कोई दान का क्या?
ऐसा कन्यादान का क्या?

आप कहते हो मेरे पापा
शादी दो दिलों का बंधन है।
इस बंधन में दोनो का
मान बराबर का होता है।

फिर शादी जैसे पवित्र बंधन में,
इस रस्म का क्या काम है,पापा
और इस रस्म निभाने के बाद
क्या दोनो का मान बराबर
का रह जाता है!

आपने कभी यह सोचा है पापा ,
क्यों बेटी समाज में दुर्गा का
रूप मानकर पूजी जाती है,
और उसी समाज में क्यों
नारी अबला रूप कहलाती है?

एक बार नही,सौ बार सोचना
इस बेटी से नारी बनने के सफर में,
कहाँ,कब हमसे क्या भुल हुई ?
कहाँ बेटी पर चोट हुआ !
और कहाँ नारी अबला रूप हुई?

एक बार जरूर सोचना पापा
यह कैसा था बेटी पर किया गया प्रहार
जो अपनों के हाथों ही करवाया गया था
इस रस्म नाम पर बेटी के आस्तित्व पर वार!

अपनों के इस वार से बेटी की शक्ति
ऐसे छिन – छिन होकर टूट गई।
वह ऐसी टूटकर बिखरी पापा
वह आज तक खुद को समेट नही पाई है !

उस चोट का दर्द ऐसा था पापा
बेटी आज तक नारी बनकर,
अपने लिए खड़ी नही हो पाई है,
और कहाँ आज तक वह पापा
अपने हक के लिए वह लड़ पाई है!

अपनों से मिला हुआ
यह ऐसा मीठा प्रहार था
बेटी दुर्गा के रूप से सीधे नारी बनकर
अबला का रूप हो गई पापा।

मेरा मानना है कि पापा
जिसने भी यह प्रथा शुरू की होगी ,
निश्चय ही वह नारी शक्ति से
बहुत डरा होगा।
वह कोई कायर , कोई बुजदिल,
कोई कमजोर रहा होगा।

जिसने नारी शक्ति को कम करने के लिए,
इस प्रथा का साजिश रचा होगा,
अपनो के हाथों अपनो पर
इस प्रथा के जरिए प्रहार करवाया होगा।
और इस तरह करके उसने
नारी की शक्ति पर चोट किया होगा।

ताकि कोई भी नारी
न अपनों के खिलाफ लड़ सके ,
न ही आवाज उठा सके,
और वह अबला रूप में बनी रह सके।

काश पापा,
आपने कन्यादान का यह
रस्म न निभाया होता,
मैं यू ही तिल- तिल कर न मरती,
मै भी जीती स्वाभिमान से।

यू न अपना जीवन हमें,
दुख में बिताना पड़ता।
यू न हमें कभी मरना तो,
कभी धरती में समाना पड़ता।

मेरा यह रूप अबला न होता,
मैं भी दुर्गा रूप में होती ।
न इतना कमजोर मैं होती
न डर-डरकर जीती मैं पापा।

एक बार नही, सौ बार सोचना
मेरे इन प्रश्नों का उत्तर
आखिर बेटी से नारी बनने के सफर में
हमसे कहाँ क्या कैसे चुक हुई।
कैसे पापा बेटी दुर्गा से सीधे नारी बनकर अबला का रूप हो गई और
अपनी सर्वस्य शक्ति वह अपनो से हार गई

एक बार जरूर सोचना पापा!
इस कन्यादान के रस्म के लिए।

~अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 510 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*एक चूहा*
*एक चूहा*
Ghanshyam Poddar
किराएदार
किराएदार
Satish Srijan
🙏🙏
🙏🙏
Neelam Sharma
#प्रभात_चिन्तन
#प्रभात_चिन्तन
*Author प्रणय प्रभात*
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"गिरना, हारना नहीं है"
Dr. Kishan tandon kranti
न कोई काम करेंगें,आओ
न कोई काम करेंगें,आओ
Shweta Soni
जो भूल गये हैं
जो भूल गये हैं
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2526.पूर्णिका
2526.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सत्यता और शुचिता पूर्वक अपने कर्तव्यों तथा दायित्वों का निर्
सत्यता और शुचिता पूर्वक अपने कर्तव्यों तथा दायित्वों का निर्
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सेंसेक्स छुए नव शिखर,
सेंसेक्स छुए नव शिखर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जब सूरज एक महीने आकाश में ठहर गया, चलना भूल गया! / Pawan Prajapati
जब सूरज एक महीने आकाश में ठहर गया, चलना भूल गया! / Pawan Prajapati
Dr MusafiR BaithA
💐अज्ञात के प्रति-135💐
💐अज्ञात के प्रति-135💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
पैमाना सत्य का होता है यारों
पैमाना सत्य का होता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
आप जरा सा समझिए साहब
आप जरा सा समझिए साहब
शेखर सिंह
रामपुर का किला : जिसके दरवाजों के किवाड़ हमने कभी बंद होते नहीं देखे*
रामपुर का किला : जिसके दरवाजों के किवाड़ हमने कभी बंद होते नहीं देखे*
Ravi Prakash
अगर आपमें मानवता नहीं है,तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क
अगर आपमें मानवता नहीं है,तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क
विमला महरिया मौज
मित्र भेस में आजकल,
मित्र भेस में आजकल,
sushil sarna
19. कहानी
19. कहानी
Rajeev Dutta
दोस्ती का तराना
दोस्ती का तराना
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
फितरत
फितरत
Sukoon
उसने कहा....!!
उसने कहा....!!
Kanchan Khanna
" भुला दिया उस तस्वीर को "
Aarti sirsat
कोई यादों में रहा, कोई ख्यालों में रहा;
कोई यादों में रहा, कोई ख्यालों में रहा;
manjula chauhan
न छीनो मुझसे मेरे गम
न छीनो मुझसे मेरे गम
Mahesh Tiwari 'Ayan'
खो गयी हर इक तरावट,
खो गयी हर इक तरावट,
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
सौंदर्य छटा🙏
सौंदर्य छटा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...