एक हरे भरे गुलशन का सपना
मैने देखा सदा से एक सुंदर सपना ,
बड़ा सुंदर लहलहाता उपवन हो अपना ।
रंग बिरंगे तरह तरह फूल और पौधे हों,
खिलते रहे मुस्कराते रहे लगे प्यारा कितना ।
एक तरफ फुलवारी और एक तरफ सब्जियां,
जरूरत हो कभी तो पड़े न बाहर जाना ।
समय समय पर खाद देकर इन्हें देना पोषण ,
पानी की बौछारों से सुबह शाम नहलाना ।
ताकि कोई फूल न मुरझाए ,ना कोई हो मृत ,
इनकी जीवन रक्षा को काम है मेरा तत्पर रहना।
मगर फिर भी यदि कोई रूठ जाए या मर जाए,
तो मुश्किल हो जाता इनको मनाना और जिलाना ।
आज कल पौधे कितने महंगे और कीमती हो गए है ,
उस पर बड़ा कचोटता है इनका बर्बाद होना।
कभी गुगल से तो कभी यूट्यूब से जानकारी लेते ,तो
कभी फेसबुक ग्रुप से पड़ता है इनका इलाज पूछना।
सभी से तरह तरह की जानकारी और नुस्खे मिलते,
मगर एक भी न चले उपाय हाय! कैसी विडंबना ।
तरह तरह के पौधे और सबकी होती भिन्न प्रकृति,
पानी ,धूप और खाद के अनुपात को मुश्किल है जानना।
यार ! बड़ी उलझन है जीवन में वैसे ही उसपर यह !
मगर अपनी रुचि को जरूरी है फिर भी जीवंत रखना।
क्या करे ” अनु” करो इसकी समस्या का निवारण,
आखिर कैसे पूर्ण हो सदा हरा भरा गुलशन का सपना।