उसकी दाढ़ी का राज
सुनो मेरे दोस्तों, मेरे हमख़्यालों,
समस्त विद्वानों, दौलतवालों,
आपके इस वतन में रहता है जो,
एक शख्स अपनी दाढ़ी बढ़ाये,
सुनो तुम अरे शौहरत वालों,
उसकी दाढ़ी का राज।
उसका भी है एक हिंदुस्तान,
उसकी भी है आजादी की दास्तां,
1857 की उसकी क्रांति की कहानी,
1942 और 1947 में उसका हाल,
जिसका हिस्सा है हर धर्म- जाति,
और बहाया है सभी ने अपना लहू,
उसके हिंदुस्तान के अस्तित्व के लिए,
हर मजहब ने दी है अपनी कुर्बानी।
बाँटता आया है वह अपनी मोहब्बत,
सभी को निःस्वार्थ बराबर-बराबर,
मगर कुछ है उसके दुश्मन भी,
जिन्होंने बेचा है अपना ईमान,
जो बाँट रहे हैं उसकी मोहब्बत को,
विभिन्न धर्मों और जातियों में,
और बहा रहे हैं खून की नदियां।
लेकिन जब तक नहीं होगी शांति,
खत्म दिलों की नफरत आपस में,
जब तक नहीं होगा गुलजार,
गुलशन यह वतन का,
नहीं होगी जब तक मुस्कान,
हर आदमी के चेहरे पर,
और नहीं हो जाता जब तक,
उसका हिंदुस्तान वह भारतवर्ष,
नहीं कटेगी उसकी दाढ़ी सच में,
यही है उसकी दाढ़ी का राज।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847