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6 Aug 2022 · 1 min read

*आशीष भर लाती बुआऍं हैं (गीतिका)*

आशीष भर लाती बुआऍं हैं (गीतिका)
———————————————-
(1)
भतीजों को नजर-भर देखने आती बुआऍं हैं
हमेशा साथ में आशीष भर लाती बुआऍं हैं
(2)
पिता-बाबा के बीते संग इनको याद किस्से हैं
इसी से संस्कारों को निभा पाती बुआऍं हैं
(3)
पिता-बाबा के आँगन में पली हैं यह मधुर कलिका
उसी की गंध से ससुराल महकाती बुआऍं हैं
(4)
पुराना छिड़ गया किस्सा तो फिर किस्से नहीं थमते
हजारों याद बचपन वाली दोहराती बुआऍं हैं
(5)
ढली संयम के सॉंचे में दादी और बाबा के
पुराने दौर के इतिहास की थाती बुआऍं हैं
———————+———
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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