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22 Sep 2016 · 1 min read

अलविदा कह के रुलाकर चल दिए

फैसला अपना सुनाकर चल दिए
अलविदा कह के रुलाकर चल दिए

खुद निभा पाये नहीं अपनी वफ़ा
बेवफा हमको बताकर चल दिए

साथ अपने ले गए वो हर ख़ुशी
दर्द का दामन थमाकर चल दिए

ढूंढते हम में रहे वो बस कमी
और खुद दर्पण दिखाकर चल दिए

साथ चलने का था जब वादा किया
क्यों कदम पीछे हटाकर चल दिए

अब अँधेरे ही बचे हैं ‘अर्चना’
दीप सारे वो बुझा कर चल दिए

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 4 Comments · 645 Views
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