Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2022 · 5 min read

*अमृत-सरोवर में नौका-विहार*

#अमृत_सरोवर_पटवाई
अमृत-सरोवर में नौका-विहार
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
15 मई 2022 ,रविवार । सायं काल 6:00 बजे अमृत सरोवर, पटवाई पर जाने का विचार बना। ठीक 6:15 बजे हम अपने घर बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज) से पटवाई के लिए चल पड़े ।
ऑटो से सिविल लाइंस ,ज्वालानगर का पुल, तदुपरांत अजीतपुर ,शादी की मढैया ,फैज नगर, जौलपुर ,नारायणपुर ,मुंडिया खेड़ा ,नईम गंज आदि गाँवों से गुजरते हुए पटवाई का अमृत सरोवर हमारे सामने था । रास्ता सीधा था । सड़क आलीशान बनी हुई थी । दोनों तरफ गांँव में जाने की पगडंडी भी पक्की थी। हाँ, मकान जरूर ज्यादातर पक्के और कुछ कच्चे थे ।
पटवाई कस्बे में अमृत सरोवर एक वरदान की तरह नजर आया । स्वच्छ जलराशि कस्बे की भागमभाग भरी जिंदगी में सकून के कुछ क्षण देने वाला विश्राम स्थल कहिए या मनोरंजन स्थल जान पड़ा। चारों तरफ चहारदीवारी थी । अंदर जाने के लिए लोहे का मजबूत दरवाजा था । भीतर सरोवर में उतरने के लिए पक्की सीढ़ियाँ थीं। सरोवर के दो तरफ चौड़ा प्लेटफार्म था, जिस पर पर्यटकों के खड़े होने के लिए पर्याप्त स्थान था । दो तरफ की दीवारें सरोवर के जल को छू रही थीं।
हमने नौका विहार का आनंद लेना चाहा । पर्यटकों की संख्या अधिक नहीं थी तो कम भी नहीं थी। कस्बे के बच्चे अमृत सरोवर के अमृतत्व का लाभ उठाने के लिए हर्ष में डूबे हुए थे । उनमें नाव पर बैठकर सरोवर की सैर करने का बहुत चाव था। नाव भी ऐसी सुंदर कि बैठने के लिए मन ललचा जाए । श्वेत रंग के हंस मानो सरोवर में तैर रहे हों। यात्रियों के बैठने के लिए चार सीटें थीं, जिन पर आराम से बैठा जा सकता था। दो सीटों पर हम लोग अर्थात मैं और मेरी धर्मपत्नी श्रीमती मंजुल रानी बैठे । सामने की दो सीटों पर अन्य सज्जन विराजमान हुए ।
नाविक ने नाव चलाना आरंभ कर कर दिया। अगल-बगल भी नावें सरोवर में यात्रियों को चक्कर लगवा रही थीं। सब प्रसन्न थे । मोबाइल से नाव पर बैठे-बैठे बहुत से लोग सेल्फी भी ले रहे थे और चारों तरफ के परिदृश्य को कैमरे में कैद भी करते जा रहे थे ।
सरोवर में घूमते-घूमते एक स्थान पर हमारी नाव सहसा रुकने लगी। नाविक ने कहा “कुएँ में फँस गई है …पेडल बैक करो।” इसका अभिप्राय समझते हुए हमारे सहयात्रियों ने पेडल उल्टे घुमाना शुरू किए। नाव थोड़ा इधर-उधर खिसकी । उसके बाद नाविक ने उचित स्थान जानते हुए नाव से उतरकर खड़े होकर नाव को उचित दिशा दी और उसके बाद नाव पर चढ़ गया । हमें बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन नाविक नाव चलाने में जहाँ एक्सपर्ट था ,वहीं उसे तैरना भी आता था । उसे यह भी पता था कि किस स्थान पर कुएँ की सतह है ,जहाँ खड़ा हुआ जा सकता है ।
आनंद पूर्वक नौका में यात्रा का चक्र जब पूरा हुआ ,तब हमारी नाव किनारे आकर रुकी । भीड़ को हमारी नाव में बैठने की जल्दी थी । लेकिन नाविक ने सधी आवाज में कहा “पहले यात्री उतरेंगे और उसके बाद ही कोई व्यक्ति नाव में चढ़ेगा।” अनुशासन के साथ इस प्रकार नौका-विहार देखकर मन को और भी प्रसन्नता हुई ।
सरोवर का जल स्वच्छ रहने का जब हमने कारण खोजना शुरू किया तब मालूम चला कि यहाँ एक समरसेबल पंप लगाया हुआ है ,जिससे प्रतिदिन पानी एक पाइप के द्वारा अमृत सरोवर में पहुँचाया जाता है। हमने देखा तो वास्तव में मोटे पाइप से स्वच्छ जल अमृत-सरोवर में प्रवेश कर रहा था। पानी के निकलने का रास्ता क्या है ?-जब इस बारे में खोजबीन की तो पता चला कि सरोवर के मध्य में एक कुआँ जैसी कोई संरचना है ,जिसके माध्यम से पानी जमीन में चला जाता है । तकनीक इस प्रकार की है कि अमृत-सरोवर का पानी का स्तर मेंटेन रहता है अर्थात कम या ज्यादा नहीं होने पाता ।
उपस्थित कुछ नवयुवकों से हमने अमृत-सरोवर के बारे में उनके विचार जानने चाहे तो दो नवयुवकों ने हमें बताया कि इस अमृत सरोवर के बनने से पटवाई का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है । यहाँ पर जमीनों की कीमतें भी अब उछाल लेने लगी हैं । लोगों के मनोरंजन का एक अच्छा केंद्र बन गया है । नवयुवकों ने बताया कि तीन साल पहले इस स्थान पर एक तालाब हुआ करता था ,लेकिन वह गंदगी से भरा पड़ा था और उसके पास से गुजरना भी अच्छा नहीं माना जाता था । लेकिन फिर योजना बनी और वही गंदा तालाब आज अमृत-सरोवर के रूप में पटवाई की शोभा में चार चाँद लगा रहा है । हमने नव युवकों के नाम पूछना चाहे तो एक ने अपना नाम हारून तथा दूसरे ने कुलदीप शर्मा बताया । हारून भाई की दुकान अमृत सरोवर के ठीक सामने सड़क पार करके है। इशारे से दुकान उन्होंने दिखाई । जनरल स्टोर अर्थात किराने की दुकान वह चलाते हैं। हमने पूछा “अब दुकान पर बैठकर अमृत सरोवर को देखकर कैसा लगता है ? ”
हारून भाई प्रसन्नता से भर उठे । कहने लगे “यह तो कभी सोचा भी नहीं जा सकता था । अमृत सरोवर के कारण स्वच्छ पानी की तरंगे हवा में उड़ती हैं और हमारी दुकान तक पहुँचती हैं। आनंद ही आनंद है । पटवाई की काया पलट गई ।”
कुलदीप शर्मा जी भी अत्यंत आनंदित हैं। इंटर में पढ़ते हैं । पिताजी के साथ खेती का कार्य देखते हैं । कहने लगे कि” यह एक बड़ा कार्य हुआ है । नजदीक ही हमारी जमीन पर मोबाइल का टावर लगा हुआ है। यहीं के हम रहने वाले हैं । जब फुर्सत मिलती है ,आनंदित होने के लिए अमृत सरोवर चले आते हैं ।”
वैशाख पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर जब आकाश में चंद्रमा अपने अमृतत्व को लुटाने के लिए उत्साहित रहता है ,अमृत सरोवर में उपस्थिति एक दिव्य वरदान ही कही जाएगी । हमने अपने भाग्य को सराहा और पुनः टेंपो में बैठकर अपने घर वापस आ गए।
यह बताना अनुचित न होगा कि पटवाई का अमृत सरोवर देश का आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बनने वाले अमृत सरोवरों की श्रृंखला में पहला अमृत सरोवर है। इसका उल्लेख प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी किया है।
————————————————-
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 1 Comment · 611 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
"किनारे से"
Dr. Kishan tandon kranti
मुश्किल घड़ी में मिली सीख
मुश्किल घड़ी में मिली सीख
Paras Nath Jha
🙅पूर्वानुमान🙅
🙅पूर्वानुमान🙅
*Author प्रणय प्रभात*
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
VINOD CHAUHAN
नरक और स्वर्ग
नरक और स्वर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बड़े मिनरल वाटर पी निहाल : उमेश शुक्ल के हाइकु
बड़े मिनरल वाटर पी निहाल : उमेश शुक्ल के हाइकु
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री
Kavita Chouhan
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
Babli Jha
अपनी कमी छुपाए कै,रहे पराया देख
अपनी कमी छुपाए कै,रहे पराया देख
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
धूल में नहाये लोग
धूल में नहाये लोग
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
माणुष
माणुष
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कोन ल देबो वोट
कोन ल देबो वोट
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कितने एहसास हैं
कितने एहसास हैं
Dr fauzia Naseem shad
स्वस्थ तन
स्वस्थ तन
Sandeep Pande
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
Poonam Matia
राग दरबारी
राग दरबारी
Shekhar Chandra Mitra
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
सीख का बीज
सीख का बीज
Sangeeta Beniwal
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
पूर्वार्थ
*श्रम से पीछे कब रही, नारी महिमावान (कुंडलिया)*
*श्रम से पीछे कब रही, नारी महिमावान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
‌‌‍ॠतुराज बसंत
‌‌‍ॠतुराज बसंत
Rahul Singh
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
18, गरीब कौन
18, गरीब कौन
Dr Shweta sood
डोमिन ।
डोमिन ।
Acharya Rama Nand Mandal
हरिगीतिका छंद
हरिगीतिका छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2702.*पूर्णिका*
2702.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* हो जाओ तैयार *
* हो जाओ तैयार *
surenderpal vaidya
तू बस झूम…
तू बस झूम…
Rekha Drolia
Loading...