Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2022 · 2 min read

*अनुशासन के पर्याय अध्यापक श्री लाल सिंह जी : शत शत नमन*

अनुशासन के पर्याय अध्यापक श्री लाल सिंह जी : शत शत नमन
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
श्री लाल सिंह जी नहीं रहे । 29 अप्रैल 2021 को आप का स्वर्गवास हो गया । सुंदर लाल इंटर कॉलेज के आप केवल एक अध्यापक ही नहीं थे अपितु विद्यालय की आरंभ से यात्रा-प्रवाह के साक्षी और सहयात्री भी थे।
जब से विद्यालय 1956 में शुरू हुआ संभवत पहले सत्र से ही आप अध्यापक के तौर पर युवावस्था के प्रभात में विद्यालय को अध्यापन की अपनी सेवाएं प्रदान करने लगे थे । आप में सब प्रकार से सैनिक-अनुशासन वाली बात थी। आप की चाल-ढाल ,बातचीत और जिस प्रकार की आप की मुद्रा रहती थी ,वह सैनिक का ही प्रतिबिंब उपस्थित करती थी । विद्यालय को अनुशासित बनाने में यूं तो सभी अध्यापकों का योगदान रहता है किंतु फिर भी कुछ नाम ऐसे होते हैं जिनके कंधों पर अनुशासन का काम सौंपा नहीं जाता अपितु वह अपनी नैसर्गिक प्रकृति के अनुरूप अनुशासन के भाव को अपने हाथ में ले लिया करते हैं। लाल सिंह जी का भी ऐसा ही स्वभाव था।
वैसे तो अनुशासन की आवश्यकता किसी भी संस्था को आजीवन बनी रहती है लेकिन शुरुआत के वर्षों में तो इसकी जरूरत कुछ ज्यादा ही होती है । वातावरण की जैसी नींव शुरुआत के दशक में पड़ जाती है ,आगे चलकर उसी पर भवन का निर्माण होता है। शास्त्री जी और लाल सिंह जी यह दो ऐसे नाम थे जिन्होंने सुंदर लाल इंटर कॉलेज को अपनी साधुता , सच्चरित्रता और संयमित जीवन – चर्या के द्वारा जिन ऊँचाइयों पर पहुंचाया ,वह संभवत इनके अभाव में पूरी नहीं हो पाती ।
लाल सिंह जी को हमेशा मर्यादाओं के भीतर विचरण करने का स्वभाव था । कभी किसी से ओछा मजाक करते हुए उन्हें किसी ने नहीं देखा । विद्यालय में विद्यार्थी केवल किताबों में लिखे हुए उपदेशों से प्रभावित नहीं होते अपितु अध्यापक के चरित्र की छाप ही उन पर मुख्यतः पड़ती है और फिर सारा जीवन वह उसी का स्मरण लिए हुए रहते हैं । वैसे तो मैं बचपन से ही लाल सिंह जी से को देखता रहा हूं लेकिन कक्षा 6 से 12 तक सुंदर लाल इंटर कॉलेज में पढ़ते हुए मैंने श्री लाल सिंह जी को विशेष रुप से निकट से देखा। सादगी से भरे उनके खुरदुरे व्यक्तित्व के साथ खादी का बंद गले का कोट खूब फबता था । वह ईमानदार व्यक्ति थे । नैतिक मूल्यों से ओतप्रोत । अपने लंबे कार्यकाल में एक भी दिन ऐसा नहीं कहा जा सकता ,जब कोई उंगली उन पर उठी हो । हर दायित्व को नैतिकता के बोध के साथ ही उन्होंने निर्वहन किया । 1962 – 63 के विद्यालय के एनसीसी ग्रुप के एक फोटो में उनकी स्वाभिमानी छवि देखते ही बनती है। त्याग और तपस्यामय जीवन से ही ऐसी स्वाभिमानी वृत्ति अर्जित की जाती है।
मृत्यु के समय उन्हें विद्यालय से रिटायर हुए लगभग तीन दशक पूरे हो चुके थे ,लेकिन उनके सद्गुणों की छाप कुछ ऐसी थी जो मानस से नहीं हटती । आप की पावन स्मृति को शत-शत प्रणाम ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
730 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
भेड़ चालों का रटन हुआ
भेड़ चालों का रटन हुआ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
■ संडे इज द फन-डे
■ संडे इज द फन-डे
*Author प्रणय प्रभात*
*सुभान शाह मियॉं की मजार का यात्रा वृत्तांत (दिनांक 9 मार्च
*सुभान शाह मियॉं की मजार का यात्रा वृत्तांत (दिनांक 9 मार्च
Ravi Prakash
महोब्बत का खेल
महोब्बत का खेल
Anil chobisa
चम-चम चमके, गोरी गलिया, मिल खेले, सब सखियाँ
चम-चम चमके, गोरी गलिया, मिल खेले, सब सखियाँ
Er.Navaneet R Shandily
उसने कहा....!!
उसने कहा....!!
Kanchan Khanna
* प्यार की बातें *
* प्यार की बातें *
surenderpal vaidya
जीवन है चलने का नाम
जीवन है चलने का नाम
Ram Krishan Rastogi
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
फितरत इंसान की....
फितरत इंसान की....
Tarun Singh Pawar
*बेचारे नेता*
*बेचारे नेता*
दुष्यन्त 'बाबा'
*कभी उन चीजों के बारे में न सोचें*
*कभी उन चीजों के बारे में न सोचें*
नेताम आर सी
‘ विरोधरस ‘---5. तेवरी में विरोधरस -- रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---5. तेवरी में विरोधरस -- रमेशराज
कवि रमेशराज
खुशियों का बीमा (व्यंग्य कहानी)
खुशियों का बीमा (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
देशभक्त मातृभक्त पितृभक्त गुरुभक्त चरित्रवान विद्वान बुद्धिम
देशभक्त मातृभक्त पितृभक्त गुरुभक्त चरित्रवान विद्वान बुद्धिम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"संयम की रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
युद्ध के बाद
युद्ध के बाद
लक्ष्मी सिंह
🌸 सभ्य समाज🌸
🌸 सभ्य समाज🌸
पूर्वार्थ
Bahut hui lukka chhipi ,
Bahut hui lukka chhipi ,
Sakshi Tripathi
=*तुम अन्न-दाता हो*=
=*तुम अन्न-दाता हो*=
Prabhudayal Raniwal
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
Manisha Manjari
फितरत अमिट जन एक गहना🌷🌷
फितरत अमिट जन एक गहना🌷🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पुकारती है खनकती हुई चूड़ियाँ तुमको।
पुकारती है खनकती हुई चूड़ियाँ तुमको।
Neelam Sharma
2721.*पूर्णिका*
2721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहे- माँ है सकल जहान
दोहे- माँ है सकल जहान
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
Dr. Man Mohan Krishna
युद्ध नहीं जिनके जीवन में,
युद्ध नहीं जिनके जीवन में,
Sandeep Mishra
छटपटाता रहता है आम इंसान
छटपटाता रहता है आम इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...