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13 Feb 2017 · 1 min read

II हौसला,इंसान से मशीन II

वक्त का अपना कोई आकार नहीं होता ,
सुना है ईश्वर भी साकार नहीं होता l
वक्त पर काम, इंसान मशीन नहीं है,
मशीन से कोई सपना, साकार नहीं होता ll

तुम चाहो तो वक्त बदल सकते हो ,
अपनी तकदीर अपने हाथों लिख सकते होl
इंसान को वक्त के सांचे में मत ढालो ,
इंसान बनाता है वक्त ,वक्त से इंसान नहीं होता ll
————————————–
कौन कहता है कि ,पर्वत नहीं हिलते ,
तूफान के समुंदर में रास्ते नहीं मिलते l
इरादा करो पक्का, उठा कर दो कदम देखो,
धारा तो क्या समंदर पर भी चल सकते हो ll

समय तुम्हारा है तुम्हारे साथ चलना है ,
इसे तुम्हारे ही सांचे में ढलना है l
करो हौसला देखो झुकेंगे चांद तारे भी,
बहती दरिया का भी रुख बदल सकते हो ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 442 Views
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