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20 May 2017 · 1 min read

1.विहग ..,, 2.रोटी …

1.विहग ..

ले अरमान मधुर से मन ..में
…उड़े जा रहे विहग ..गगन में
…….स्मृति घट पर तुम यूँ ….बैठी
…………जैसे कोई अभिलाष नयन में

सुशील सरना

2.रोटी …

हर इंसां का ईमां है रोटी
..हर भूख़ का मकां है रोटी
….है छुपी हुई हर रोटी में माँ
…..है माँ वहीं पर जहां है रोटी
सुशील सरना

Language: Hindi
280 Views
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