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17 May 2017 · 1 min read

?हास्य-साली है फ़िल्मी चित्रहार….

????????

साली है फ़िल्मी चित्रहार,
बहुरंगी-सी पिचकारी है।
मदभरी चाल जब चलती है,
अच्छे-अच्छों को भारी है।
पत्नी तो ढोल बेसुरा सा,
बेढंगा राग बजाती है।
खाने से भरता पेट नहीं,
तो पति का भेजा खाती है।

साली करेंट है बिजली का,
झटका देती टच होने पर।
जब चाल नशीली चलती है,
पायल की छम-छम होने पर।
पत्नी तो फ्यूज बल्ब जैसी,
हर समय उड़ी सी रहती है।
जलती है-ना जलने देती है,
गुस्से में उखड़ी रहती है।

साली रसभरी इमरती-सी,
और कोमल गाल मलाई-से।
बूढ़े भी शक्ति पाते हैं,
इस पावर फोर्ट दवाई से।
पत्नी जैसे कुक्कुर खांसी,
बस साँस उखाड़े रखती है।
घर-घर बेचारा ‘पीड़ित-पति’,
रग-रग-सी जिसकी दुखती है।

साली है ख्वाब सुनहरा-सा,
है एटम बम्ब दिवाली का।
बस रोक रहा हूँ कलम यहाँ,
डर बहुत “तेज” घरवाली का।

?????????
?तेज

Language: Hindi
1585 Views
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