??गोलियों से डरते नहीं??
आजकल चर्चा में हो,क़दम टिकते नहीं।
ईद का चाँद हो गए,यार दिखते नहीं।।
ख़त कितने लिखे हमने,हाल-ए-दिल लिखा।
जानते सब हो फिर भी,हाल लिखते नहीं।।
नज़रें प्यार की डालो,जी उठें हम यार।
आपको देखके ज़ख्म,भी उभरते नहीं।।
हुस्न-ए-दाद आपको,दुनिया देती है।
ज़ल्वा हम भी देखलें,यार मिलते नहीं।।
आए बहार अगर तो,हँसे फूले-चमन।
जैसे तुमसे मिले मन,तार मिलते नहीं।।
शाम होते उठें क़दम,मैकदे की ओर।
बुरी लत है पीने की,पर बदलते नहीं।।
वतन की मिट्टी माथे,बाँधकर सिर कफ़न।
सीना किया फ़ौलादी,यार डरते नहीं।।
मौत तो आनी ही है,आएगी एकदिन।
जीते हैं शान से हम,सोच करते नहीं।।
……..राधेयश्याम बंगालिया
प्रीतम कृत……….
13-10-13-10..मापनी