Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2017 · 1 min read

? मुहब्बत से पहले ?

रंज ओ गम थे
?????फिरभी कम थे
अकेले तन्हा
?????जब अधूरे हम थे

??????❤❣??

बस एक डर था
????? दिल बेअसर था
क्यों कोई भाये ना
????? यह बेखबर था

??????❤❣??

नींदें भी आती थी
?????रातें भी गाती थी
वो भी क्या बातें बस
.????? मुस्कुराहट लाती थी

??????❤❣??

मासूम जमाना था
????? मंदिर ही ठिकाना था
ना ही कहीं चर्चे
?????ना कोई फसाना था

??????❤❣??

दिल के कई अरमान थे
?????? उड़ते फिरते तूफान थे
इश्क रोग से पहले हम
????? बजरंग दल की शान थे

??????❤❣??

खुद से ही बगावत थी
?????जब हुई मुहब्बत थी
बस एक इश्क के बाद
?????आंसुओं की कयामत थी

?????❤?❣??

Language: Hindi
Tag: शेर
412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन साथी ओ मेरे यार
जीवन साथी ओ मेरे यार
gurudeenverma198
3162.*पूर्णिका*
3162.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िंदगी देती है
ज़िंदगी देती है
Dr fauzia Naseem shad
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
"चाँद को शिकायत" संकलित
Radhakishan R. Mundhra
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
Rj Anand Prajapati
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
VINOD CHAUHAN
***संशय***
***संशय***
प्रेमदास वसु सुरेखा
मुझे  बखूबी याद है,
मुझे बखूबी याद है,
Sandeep Mishra
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
sushil sarna
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
पूर्वार्थ
गले से लगा ले मुझे प्यार से
गले से लगा ले मुझे प्यार से
Basant Bhagawan Roy
विश्वकर्मा जयंती उत्सव की सभी को हार्दिक बधाई
विश्वकर्मा जयंती उत्सव की सभी को हार्दिक बधाई
Harminder Kaur
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
Kuldeep mishra (KD)
भारत
भारत
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
"लिख सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
" मैं फिर उन गलियों से गुजरने चली हूँ "
Aarti sirsat
फकीरी
फकीरी
Sanjay ' शून्य'
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
Dr MusafiR BaithA
जिंदगी
जिंदगी
Madhavi Srivastava
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
சூழ்நிலை சிந்தனை
சூழ்நிலை சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
कितना भी दे  ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
Dr Archana Gupta
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
AJAY AMITABH SUMAN
मां
मां
Irshad Aatif
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे ।
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे ।
Buddha Prakash
छू लेगा बुलंदी को तेरा वजूद अगर तुझमे जिंदा है
छू लेगा बुलंदी को तेरा वजूद अगर तुझमे जिंदा है
'अशांत' शेखर
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Loading...