Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2017 · 2 min read

???#” सुहागरात एक एहसास”#???

????? “सुहागरात एक एहसास”????

?दाम्पत्य जीवन की पवित्र,
पहली सीढ़ी , पहली बात।
उलझन में दिल, अजीब ख्याल,
कैसी होती है सुहागरात।।

?दो अनजाने सहमे दिल,
हुई है चंद सिर्फ मुलाकात।
बंद दरवाजा, सजी है सेज,पर,
क्या हो बात? कैसी शुरुआत ?

?वह डर नही,…. नहीं है डर,
जो धड़कनों के साथ बह रहा।
पर, सहमा रक्तवेग, मध्दम स्वर,
अंतर्मन से शायद कुछ कह रहा।।

?साँसे भी कुछ देर शांत रह,
फिर सहसा तेज बहने लगती।
रक्त वाहनियों से कपकपी भी,
चुपके से कानों में कुछ कहने लगती।।

?हजारों सवाल मन ही मन में,
मचलते, द्वंद खुद से करते है।
चुपचाप सहम के दोनों मन,
क्या पूछे ? कहते रहते है।।

?हाथ से खुद के हाथ को,
बस यूं ही मलते रहते है।
जज्बात बहुत सीने में, पर,
तन से हिलते डुलते रहते है।।

?खामोश जुबां, कंपित कंठ-ध्वनि,
सूखे लब, मुख भार बढ़ाते है।
झुके नयन घूंघट भीतर ही,
पल-पल मन को सकुचाते है।।

?सुहाग-हाथ, सुहागन-घूंघट को,
डरे, सहमे, घबराये उठाते हैं।
मुँह दिखाई रश्म बताकर, वर,
पहली सीढ़ी पर पाँव जमाते हैं।।

?लज्जा… , घूंघट को हटा देख,
पर्दा हाथों का लगाती है।
स्पर्श मात्र से कंपित तन को,
फिर स्थिर मुद्रा पर लाती है।।

?हाथ पिया का पाकर हाथ,
साँसों का वेग बढ़ाती है।
नवजीवन में प्रवेश एहसास,
पल-पल मन में संजोती है।।

?बहते भावों को कर स्थिर,
जीवनसाथी कह बात बढ़ाते है।
कुछ सवाल , कुछ समझाइस दे,
नवजीवन का अर्थ समझाते हैं।।

?होकर परिचित भावनाओं से,
परिचय रूह का कराते है।
पावन रिश्ते की अहमियत जान,
सुंदर जीवन की नींव सजाते हैं।।

?दो अंजान तन, दो अंजान मन,
जीवन पथ पर एक हो जाते है।
धर्म-कर्म, रीति-रिवाज, विश्वास,
बन्धन को “सुहागरात” बताते हैं।।

****कलम से****

संतोष बरमैया “जय”

Language: Hindi
1288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लेखनी चले कलमकार की
लेखनी चले कलमकार की
Harminder Kaur
*नल (बाल कविता)*
*नल (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
Ram Krishan Rastogi
জীবন চলচ্চিত্রের একটি খালি রিল, যেখানে আমরা আমাদের ইচ্ছামত গ
জীবন চলচ্চিত্রের একটি খালি রিল, যেখানে আমরা আমাদের ইচ্ছামত গ
Sakhawat Jisan
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
"बदलते भारत की तस्वीर"
पंकज कुमार कर्ण
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
Pankaj Sen
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
Kshma Urmila
Meditation
Meditation
Ravikesh Jha
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
ये जाति और ये मजहब दुकान थोड़ी है।
ये जाति और ये मजहब दुकान थोड़ी है।
सत्य कुमार प्रेमी
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
दुआ नहीं होना
दुआ नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
बस गया भूतों का डेरा
बस गया भूतों का डेरा
Buddha Prakash
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
कृष्णकांत गुर्जर
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
विद्यादायिनी माँ
विद्यादायिनी माँ
Mamta Rani
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
पूर्वार्थ
तोड़ सको तो तोड़ दो ,
तोड़ सको तो तोड़ दो ,
sushil sarna
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*Author प्रणय प्रभात*
"सूदखोरी"
Dr. Kishan tandon kranti
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
हरवंश हृदय
*मनुष्य शरीर*
*मनुष्य शरीर*
Shashi kala vyas
*महफिल में तन्हाई*
*महफिल में तन्हाई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
स्त्री चेतन
स्त्री चेतन
Astuti Kumari
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
Rashmi Ranjan
Loading...