ज़िन्दगी तेरी होने लगी है
ज़िन्दगी तेरी होने लगी है
सपनों में तेरे खोने लगी है
लब भी नाम तेरा बुदबुदाते है
अब तेरी आदत सी होने लगी है
कोरे पन्नो में नाम तेरा नज़र आता है
क़लम भी तेरी ग़ुलाम होने लगी है
हर पल तुझे याद कर दिन गुज़रता है
तन्हाइयां भी तेरी ग़ुलाम होने लगी है
रूह को भी रुखसत नही अब
रूह भी तेरी नाम होने लगी है
तेरी शोख अदाएं मार ही डालेगी
ज़िन्दगी अदाओं में बर्बाद होने लगी है
तेरी हँसी से गुलशन जहाँ होता है
गुलशन भी आबाद होने लगी है
कश्ती चल रही है फ़िज़ाओं के सहारे
कश्ती किनारों में ही डूबने लगी है
अब भूपेंद्र की नैया है तेरे हाथ में
कश्ती मँझधार में ही डूबने लगी है
भूपेंद्र रावत
17।08।2017