Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2016 · 1 min read

ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह— गज़ल

ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह
झेलो’ गम को जरा दिल्लगी की तरह

कुछ इनायते’ मिली कुछ जलालत सही
वक्त आया गया रोशनी की तरह

रोज चलता रहा बोझ ढोता रहा
और तपता रहा दुपहरी की तरह

उसके’ दिल मे तो’ विष ही भरा होता’ है
बात होती मगर चाश्नी की तरह

ज़िन्दगी गांव मे औरतों की भी क्या
मर्द पीटे उसे ओखली की तरह

वादा अच्छे दिनों का कहाँ खो गया
लोग भूखे दुखी भुखमरी की तरह्

गांव के दूध का स्वाद भी याद है
अब न मिट्टी की’ उस काढनी की तरह

वक्त की मार सहते हुये जी लिया
रोज बजता रहा ढोलकी की तरह

जान बच्चे हैं’ मेरी वो ही ज़िन्दगी
वो सहारा मे’रा हैं छडी की तरह्

1 Like · 3 Comments · 539 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी का मुसाफ़िर
जिंदगी का मुसाफ़िर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सम्मान नहीं मिलता
सम्मान नहीं मिलता
Dr fauzia Naseem shad
2539.पूर्णिका
2539.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तंग अंग  देख कर मन मलंग हो गया
तंग अंग देख कर मन मलंग हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
शायद ऐसा भ्रम हो
शायद ऐसा भ्रम हो
Rohit yadav
अर्ज है
अर्ज है
Basant Bhagawan Roy
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मां
मां
Dr Parveen Thakur
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
💐अज्ञात के प्रति-142💐
💐अज्ञात के प्रति-142💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
एहसास
एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
Sakshi Tripathi
अकेला
अकेला
Vansh Agarwal
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
हिन्दी दोहा-विश्वास
हिन्दी दोहा-विश्वास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
बना एक दिन वैद्य का
बना एक दिन वैद्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
यादों को याद करें कितना ?
यादों को याद करें कितना ?
The_dk_poetry
स्वप्न कुछ
स्वप्न कुछ
surenderpal vaidya
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
विपक्ष आत्मघाती है
विपक्ष आत्मघाती है
Shekhar Chandra Mitra
विश्वकर्मा जयंती उत्सव की सभी को हार्दिक बधाई
विश्वकर्मा जयंती उत्सव की सभी को हार्दिक बधाई
Harminder Kaur
वर्दी
वर्दी
Satish Srijan
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
नेताम आर सी
Loading...