Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Sep 2017 · 1 min read

ख़ुदा भी आसमां से ………..

किस्मत भी कितनी अजीब है

कोई घरवाली पाकर रो रहा है

तो कोई घरवाली खोकर रो रहा है

कोई घर लाकर रो रहा है

तो कोई घर लाने के लिए रो रहा है

कोई
मजबूरी में इस बोझ को ढो रहा है

और
इस चक्कर में अपना आपा खो रहा है

क्या चक्कर है बीबी का

भगवान भी जिसे बना कर सो रहा है

आदमी जिसे

देख देख कर बेतहासा रो रहा है

उसे समझ नही आ रहा

ये क्या हो रहा है

ख़ुदा भी आसमां से

जब जमीं पर देखता होगा

इस बीबी रूपी प्राणी को बनाकर

सोचता होगा ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 452 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
सच तो हम सभी होते हैं।
सच तो हम सभी होते हैं।
Neeraj Agarwal
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
खुल के सच को अगर कहा जाए
खुल के सच को अगर कहा जाए
Dr fauzia Naseem shad
प्रिय भतीजी के लिए...
प्रिय भतीजी के लिए...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"कुछ लोग हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
कहानियां ख़त्म नहीं होंगी
कहानियां ख़त्म नहीं होंगी
Shekhar Chandra Mitra
हिन्दी दोहा बिषय-
हिन्दी दोहा बिषय- "घुटन"
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चित्र और चरित्र
चित्र और चरित्र
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
सत्य पर चलना बड़ा कठिन है
सत्य पर चलना बड़ा कठिन है
Udaya Narayan Singh
सीख ना पाए पढ़के उन्हें हम
सीख ना पाए पढ़के उन्हें हम
The_dk_poetry
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
manjula chauhan
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
कब भोर हुई कब सांझ ढली
कब भोर हुई कब सांझ ढली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वृद्धाश्रम में कुत्ता / by AFROZ ALAM
वृद्धाश्रम में कुत्ता / by AFROZ ALAM
Dr MusafiR BaithA
#एकअबोधबालक
#एकअबोधबालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2558.पूर्णिका
2558.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
लग जाए गले से गले
लग जाए गले से गले
Ankita Patel
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश (हास्य कुंडलिया)*
*होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
क़ैद कर लीं हैं क्यों साँसे ख़ुद की 'नीलम'
क़ैद कर लीं हैं क्यों साँसे ख़ुद की 'नीलम'
Neelam Sharma
शुद्ध
शुद्ध
Dr.Priya Soni Khare
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्यार के सिलसिले
प्यार के सिलसिले
Basant Bhagawan Roy
💐प्रेम कौतुक-332💐
💐प्रेम कौतुक-332💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
फकत है तमन्ना इतनी।
फकत है तमन्ना इतनी।
Taj Mohammad
"कला आत्मा की भाषा है।"
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे अधरों पर जो कहानी है,
मेरे अधरों पर जो कहानी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ग़ज़ल/नज़्म - वो ही वैलेंटाइन डे था
ग़ज़ल/नज़्म - वो ही वैलेंटाइन डे था
अनिल कुमार
Loading...