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10 Dec 2016 · 1 min read

हौसला जब भी तुम्हारा जाएगा

हौसला जब भी तुम्हारा जाएगा |
दूर हाथों से किनारा जाएगा ||

मेमने की आँख में देखो तो तुम |
किसके हिस्से में बेचारा जाएगा ||

सोच पाता काश वो कमज़र्फ़ यह |
फिर उसी दर पर दुबारा जाएगा ||

गर्मियाँ बढ़ने लगी हैं शहर में |
देखिए कितना ये पारा जाएगा ||

उंगलियाँ मेरी उठीं तो सोच लो |
दूर तक मेरा इशारा जाएगा ||

घर की दीवारों पे मेरे छत नहीं |
चाँद को किस पर उतारा जाएगा ||

रोग जिसको लग गया सच का “नज़र” ;
देखना बेमौत मारा जाएगा ||

Nazar Dwivedi

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