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25 Nov 2016 · 1 min read

हो गए बदनाम क्या जमाने में हम

राह पर वो सामने नज़र आने लगे मुझे
मुहब्बत के ही नाम पर बतियाने लगे मुझे

हो गए बदनाम क्या जमाने हम जरा
अंधे भी अब तो आँख दिखाने लगे मुझे

खाई है ठोकर मैने अपनो से ही यारों
देखो कैसे गैर भी अब सतानेे लगे मुझे

हो गई मुहब्बत मुझे जब से तुम से यार
बोल कड़वे भी सभी सुहाने लगे मुझे

कहते थे होती सुबह है मेरे ही दिद से
आज वो ही गैरों के संग चिढ़ाने लगे मुझे

गुलजार कर दी राह मेरी प्यार में सनम
शबनमी फुहारों से भिगाने लगे मुझे

याद दिला न मुझे अपने तराने प्यार के
दास्ताँ बेवफ़ाई की याद आनें लगे मुझे

परवाह नहीं जमाने की कँवल को तो यारों
सारे जहाँ की खुशियाँ वो दिलाने लगे मुझे

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