होली ये ख़ुशनुमा लम्हो को फिर सजाने का मौसम है..
पलाश के फूलों के महकने का मौसम है..
रंगो के संग खुशियों से मिलने का मौसम है..
रूठो के अपनेपन में लौट आने का मौसम है..
पुरानी गलतफ़हमियों को मिटाने का मौसम है..
रुंधे गले से आपस में गले मिलने का मौसम है..
हर्ष का शांति का प्यार का अपनत्व का मौसम है..
सब कुछ भूल गैरो को भी अपने बनाने का मौसम है..
बुरा न मान दिल की बात जुबां पर लाने का मौसम है..
होली ये ख़ुशनुमा लम्हो को फिर सजाने का मौसम है..
✍कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”
(आने वाले रंगों के पर्व अपनों से फिर मिलने के पर्व होलिका उत्सव की सभी को हार्दिक शुभकामनायें…??)