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10 Mar 2017 · 1 min read

होली:भावनाओं के रंग!

हम घर किसे कहते हैं पता है आपको? चार दीवारें ,चिकना फर्श,गेट पर गुर्राता विलायती कुत्ता और भी बहुत कुछ —जी बिलकुल भी नहीं इसे हम मकान कहते हैं —नींद न आयेगी रात भर —लाख कोशिश कर लें।क्योंकि हमने भावनाओं के बरगद को घर समझा है ,महसूस किया है।
टूटी-फूटी झुपड़िया में हम बेफ्रिक सोते हैं ।
हमारे देश में भावनाएँ, उमंग, उत्साह, अल्लहड़ता,आनंद आदि सब कुछ हवा में बहता है ;हम इसे खरीदने बाजार नहीं जाते ।
हम प्रतिदिन आरती, भजन गीत नृत्य के साथ जीवन जीते हैं ।
यही सब कुछ झलकता है हमारे त्योहारों में ।
होली में हमारी उमंग उत्साह और अल्लहड़पन की भावनाएँ प्रस्फुटित हो उठती हैं और हम झूमझूम कर नाचने गाने लगते हैं और रंगों से जीवन में आनंद भर लेते हैं ।

होली है–शुभकामनाएँ के साथ :मुकेश कुमार बड़गैयाँ।

Language: Hindi
Tag: लेख
297 Views
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