Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Oct 2016 · 1 min read

हे कृष्ण मेरे

सुनी-सुनी गुज़र गयी,
अब की बार दीवाली भी,
तुम बिन कौन निखारे मुझको,
कौन बने मेरा सारथी,

तुम तो थे कृष्ण मेरे,
मैं अर्जुन तुम्हारा था,
तुमने ही तो बस मुझे,
हर पथ पर संभाला था!

क्यों चले गए हे कृष्ण! मेरे,
राधा सी बिरही बना मुझे,
नित नैन निहारें राह तेरी,
नित अश्रु की गंगा बहती है,

तुम थे तो थी नित होली मेरी,
हर रात्रि दीवाली मनती थी,
तुम चले गए हे कृष्ण! मेरे,
अब उजड़ गयी ये दुनिया मेरी!!

-अनुपम राय’कौशिक’

Language: Hindi
2 Comments · 347 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष
विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जिन्दगी है बगावत तो खुलकर कीजिए।
जिन्दगी है बगावत तो खुलकर कीजिए।
Ashwini sharma
जिनकी आंखों को धूप चुभे
जिनकी आंखों को धूप चुभे
*Author प्रणय प्रभात*
আজ রাতে তোমায় শেষ চিঠি লিখবো,
আজ রাতে তোমায় শেষ চিঠি লিখবো,
Sakhawat Jisan
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे  दिया......
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे दिया......
Rakesh Singh
*पद का मद सबसे बड़ा, खुद को जाता भूल* (कुंडलिया)
*पद का मद सबसे बड़ा, खुद को जाता भूल* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
किसी को अगर प्रेरणा मिलती है
किसी को अगर प्रेरणा मिलती है
Harminder Kaur
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
कौन पंखे से बाँध देता है
कौन पंखे से बाँध देता है
Aadarsh Dubey
अतीत कि आवाज
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
डॉ.सीमा अग्रवाल
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पेड़ के हिस्से की जमीन
पेड़ के हिस्से की जमीन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जन्म गाथा
जन्म गाथा
विजय कुमार अग्रवाल
मजहब
मजहब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
** सुख और दुख **
** सुख और दुख **
Swami Ganganiya
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
SHELTER OF LIFE
SHELTER OF LIFE
Awadhesh Kumar Singh
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चश्मे
चश्मे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कल चाँद की आँखों से तन्हा अश्क़ निकल रहा था
कल चाँद की आँखों से तन्हा अश्क़ निकल रहा था
'अशांत' शेखर
चुपके से तेरे कान में
चुपके से तेरे कान में
Dr fauzia Naseem shad
अधर्म का उत्पात
अधर्म का उत्पात
Dr. Harvinder Singh Bakshi
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फौजी जवान
फौजी जवान
Satish Srijan
तुलसी चंदन हार हो, या माला रुद्राक्ष
तुलसी चंदन हार हो, या माला रुद्राक्ष
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अब न करेगे इश्क और न करेगे किसी की ग़ुलामी,
अब न करेगे इश्क और न करेगे किसी की ग़ुलामी,
Vishal babu (vishu)
Loading...