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17 Sep 2017 · 1 min read

हिन्‍दी भाषा की बने, ऐसी अब पहचान

(हिंदी पखवाड़े में हिंदी पर रचनायें)

आधार छंद- दोहा
मात्रिक भार- 13, 11 (24).

हिन्दी भाषा की बने, ऐसी अब पहचान।
मेहनत से जैसे बने, कोई जब धनवान।

हिन्दी को भी गर्व से, अब बोलें हम आप,
खुशी मिले ज्यों दोगुनी, मिलता जब सम्मान।

वाहन, घर, महँगे वसन, मोबाइल का शौक,
हिन्दी का भी शौक अब, पालें सब इनसान।

ज्ञानी संत समाज में, फैलाते सुविचार।
घर घर अब सुविचार हो, हिंदी पर दें ध्यान।

अपना है अभिमान ध्वज, अनुपम इसका रूप,
ऐसे ही हिन्दी बने, अपना अब अभिमान।

हरसू देख विकास को, गर्व करें हम आज,
हिन्दी के उत्थान का, छेड़ें अब अभियान।

‘आकुल’ हिंदी को मिले, ऐसी एक उड़ान।
हिंदी में हों कीर्तन, हिंदी में ही’ अजान।

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