Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2016 · 2 min read

हास्य -व्यंग्य कविता

एकबार मेरे पास आया एक भिखारी ,
इससे पहले कि उसे कुछ देता मैं भी कंजूस था भारी ।
मैंने पूरी जेब टटोलकर एक चवन्नी निकारी ,
बड़े ही गौरव और स्वाभिमान के साथ उसके कटोरे में डारी ।
भिखारी ने चवन्नी बड़े ही गौर से निहारी ,
ऐसा लगा कि जैसे उसने मुझे मन ही मन में दी हो गारी ।
उसने मेरे ऊपर एक व्यंग्य भरी दृष्टि डारी ,
मुझे लगा कि जैसे उसने मेरे सिर में चवन्नी हो दे मारी ।
या फिर शामत आगई हो हमारी ,
इतने में उसने मुझे खरी खोटी सुनाने की करली तैयारी ।
वह बोला कि तुम तो हो हमसे भी बड़े भिखारी ,
जो तुमने हमारे कटोरे में एक चवन्नी मात्र डारी ।
उसने कहा कि आज एक रुपये की क्या कीमत है ?
हमने कहा कि आज किसकी साफ नीयत है ।
वह बोला कि एक रुपये का आज आता क्या है ?
हमने कहा बस्तु और रुपये का आज नाता क्या है?
आज रुपये का अवमूल्यन हो गया है ,
इसीलिए मनुष्य भावशून्य हो गया है ।
पहले एक रुपये का काफी सामान आता था ,
तब बस्तु और रुपये में एक गहरा नाता था ।
पहले जेब में रुपया और थेले में सामान होता था ,
गरीबी में भी इंसान आज की तरह नहीं रोता था ।
आज थैले में रुपये और जेब में बस्तु होती है ,
महगाई में जनता तरह तरह से रोती है ।
आज कुछ भ्रष्ट हो गये बहुत अमीर हैं ,
कालेधन से धिकारते नहीं उनके जमीर हैं ।
आज भ्रष्टाचारी घोटालेबाजों का जमाना है ,
महँगाई काले धन वालों का एक बहाना है ।
अमीरी गरीबी में बन गयी एक बहुत बड़ी खाई है
जनता के लिए नेता हैं पर जनता उनके लिए पराई है ।
एकओर अनाज गोदामों में अनाज सड़ जाता है ,
वहीं दूसरी ओर भूख से गरीब मर जाता है ।
आज दो – जून दी रोटी को भी गरीब मोहताज है ,
भ्रष्टाचारी चोर रिश्वती गुंडों का ही राज है ।
भ्रष्ट सिंघाशन को झेलना जनता की मजबूरी है ,
सत्ता परिवर्तन के लिए जागरूकता लाना बहुत जरूरी है ।
(प्रस्तुत कविता उ0प्र0 के विशेष सन्दर्भ में )
:- डॉ तेज स्वरूप भारद्वाज -:

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 1270 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
श्याम सिंह बिष्ट
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन में ऐश्वर्य के,
जीवन में ऐश्वर्य के,
sushil sarna
लौट आओ तो सही
लौट आओ तो सही
मनोज कर्ण
हरि का घर मेरा घर है
हरि का घर मेरा घर है
Vandna thakur
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
Kailash singh
जात-पांत और ब्राह्मण / डा. अम्बेडकर
जात-पांत और ब्राह्मण / डा. अम्बेडकर
Dr MusafiR BaithA
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
पूर्वार्थ
কেণো তুমি অবহেলনা করো
কেণো তুমি অবহেলনা করো
DrLakshman Jha Parimal
दीवाली
दीवाली
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
Keshav kishor Kumar
*किस्मत में यार नहीं होता*
*किस्मत में यार नहीं होता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
Harsh Nagar
2878.*पूर्णिका*
2878.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वार्थ से परे !!
स्वार्थ से परे !!
Seema gupta,Alwar
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
Dushyant Kumar Patel
जीवन !
जीवन !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
शेखर सिंह
तुम सम्भलकर चलो
तुम सम्भलकर चलो
gurudeenverma198
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
Rajesh Kumar Arjun
शर्म शर्म आती है मुझे ,
शर्म शर्म आती है मुझे ,
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
लक्ष्मी सिंह
मुझ पर तुम्हारे इश्क का साया नहीं होता।
मुझ पर तुम्हारे इश्क का साया नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दरक जाती हैं दीवारें  यकीं ग़र हो न रिश्तों में
दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में
Mahendra Narayan
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...