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22 Jun 2017 · 1 min read

हासिल क्या ?

हासिल क्या ?
—————-

मेरे त्याग
और बलिदान से
हासिल क्या ?
हुआ मुझको !!
कभी मिली
दुत्कार मुझे !
तो कभी मिला
कुआँ मुझको !!
मैं छली गई !
अपनों के हाथों
कभी कामी ने
छुआ मुझको !!
कभी जिस्म बिका
बाजारों में……
कभी समझा गया
जुआ मुझको !!
कभी परणाकर
बचपन में ही
छोड़ा ना…..
युवा मुझको !!
सबके लिए
दुआ करती हूँ !
मिली कभी ना
दुआ मुझको !!
मैं नारी हूँ !
पर ! समझूँ अबला
हरदम से ही क्या ?
हुआ मुझको !!
—————————-
डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”
============================

Language: Hindi
546 Views
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