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8 Mar 2017 · 1 min read

हाँ मै हूँ कलम…मुझको तो हर पल लड़ना होगा…

हाँ मै हूँ कलम…मुझको तो हर पल लड़ना होगा…
न झुकना होगा न दबना होगा,
सच के संग ही चलना होगा…
अवरोध बहुत आएंगे पल पल,
तिल तिल यहाँ सतायेंगे…
पथ न होगा कोई सुपथ,
काँटों पर मुझको चलना होगा…
विपरीत धारा में बहकर भी मुझको,
राह सुपथ सब गढ़ना होगा…
हाँ मै हूँ कलम…मुझको तो हर पल लड़ना होगा…

युग बदलेंगे,जन मन बदलेंगे,
पर देशहित मुझीको चलना होगा…
लांछन होंगे,कुटिल प्रहार भी होंगे,
चाहेंगे पग डगमग मै हो जाऊं…
सब अपने अपने दल का जोर लगायेंगे,
हो जाऊं मै विचलित साथ सभी ये चाहेंगे…
पर कुंठाओ से परे होकर कलम वंश की धारा को,
हर पथ सुपथ ही चलना होगा…
हाँ मै हूँ कलम…मुझको तो हर पल लड़ना होगा…

होंगे पक्षाघात बहुत,हर पथ पर अवरोधक होंगे…
जीवन की इस चौसर में, हर खाने व्यूह बनेंगे…
रोका जायेगा मुझको,
ओर खरीदारी की होड़ लगेगी…
पर “विकल” हृदय व्याकुलता में भी,
बिकना मुझको कभी न होगा…
हाँ मै हूँ कलम…मुझको तो हर पल लड़ना होगा…

स्वतंत्र लेखन की महत्ता,
हर क्षण ही आघात सहेगी…
हर कोई आकर मुझको,
चरित्र मेरा दिखलायेगा…
चार पलो की बातों में,
अधिकार मुझी पर चाहेगा…
पर दिनकर-निराला की वंशज मै,
मुझको न इनसे डरना होगा…
हाँ मै हूँ कलम…मुझको तो हर पल लड़ना होगा…

कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”

Language: Hindi
256 Views
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