Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2016 · 1 min read

हर फसाना आजकल……..

ग़ज़ल

अश्क में डूबा हुआ है हर फ़साना आजकल,
मुस्कुराए हो गया है इक ज़माना आजकल।

खुद परस्ती बन गई बुनियाद जब सम्बन्ध की,
हो गया मुश्किल बहुत रिश्ते निभाना आजकल।

हम जला बैठे हवन में उंगलियां जिनके लिए,
चाहते हैं वो ही हम को आजमाना आजकल।

जिनका ये दावा कि जां दे देंगे जब चाहोगे तुम,
रोज वो ही कर रहे हैं इक बहाना आजकल।

और भी अक्सर हमें अब याद आते हैं वो दिन,
चाहते हैं हम जिन्हें दिल से भुलाना आजकल।

कल बुलंदी छूके जो इतरा रहा था शान से,
मारता है ठोकरें उसको ज़माना आजकल।

आज अपने ही नगर में हो गए हम अजनबी,
ढूंढते फिरते हैं अपना आशियाना आजकल।

“आरसी” क्यों तंग हैं अब ज़िन्दगी के काफ़िये,
हो रहा दुश्वार ग़ज़लों में निभाना आजकल।

–आर० सी० शर्मा ”आरसी ”

386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पराये सपने!
पराये सपने!
Saransh Singh 'Priyam'
*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
पूर्वार्थ
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
Anis Shah
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
Buddha Prakash
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
দারিদ্রতা ,রঙ্গভেদ ,
দারিদ্রতা ,রঙ্গভেদ ,
DrLakshman Jha Parimal
संस्कार संयुक्त परिवार के
संस्कार संयुक्त परिवार के
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सेवा
सेवा
ओंकार मिश्र
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
बन गए हम तुम्हारी याद में, कबीर सिंह
The_dk_poetry
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
💐प्रेम कौतुक-480💐
💐प्रेम कौतुक-480💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
असुर सम्राट भक्त प्रहलाद – पूर्वजन्म की कथा – 03
असुर सम्राट भक्त प्रहलाद – पूर्वजन्म की कथा – 03
Kirti Aphale
जीवन के आधार पिता
जीवन के आधार पिता
Kavita Chouhan
डायरी भर गई
डायरी भर गई
Dr. Meenakshi Sharma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
Seema Verma
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
कवि रमेशराज
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
मानवता दिल में नहीं रहेगा
मानवता दिल में नहीं रहेगा
Dr. Man Mohan Krishna
"काला झंडा"
*Author प्रणय प्रभात*
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
नेताम आर सी
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्रयोग
प्रयोग
Dr fauzia Naseem shad
रास्ते फूँक -फूँककर चलता  है
रास्ते फूँक -फूँककर चलता है
Anil Mishra Prahari
Sometimes
Sometimes
Vandana maurya
Loading...