हमें अब भी हमारा प्यार पहला याद आता है
हमें अब भी हमारा प्यार पहला याद आता है
गली के सामने तेरा गुजरना याद आता है
उढ़ाती रात को जब श्वेत चादर चाँदनी देखो
हमें मिलने तेरा चुपके से आना याद आता है
घिरी काली घटायें आज तक भी जब बरसती है
हमें उनमें हमारा भीग जाना याद आता है
लिखा तू क्यों नहीं है हाथ की मेरी लकीरों में
तेरा ये पूछना फिर खूब रोना याद आता है
न फुर्सत’अर्चना’हमको रही इतनी मगर अब भी
समय वो चाँद तारों सँग बिताना याद आता है
डॉ अर्चना गुप्ता