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18 Mar 2017 · 1 min read

हमारे गंदे कर्मोँ की समीक्षा अब नहीँ होती

हमारे गंदे कर्मोँ की समीक्षा अब नहीँ होती

कि पहले की तरह मेरी परीक्षा अब नहीँ होती

तुम्हारे जिस्म की खुशबू हमेँ मदहोश करती है

मेरी बाहोँ मेँ आओ तुम प्रतीक्षा अब नहीँ होती

Language: Hindi
476 Views
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