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11 Dec 2016 · 1 min read

हमारी बातों में, ज़िक्र आपका, सालों साल होना तो लाज़मी है

कल सरे-राह नसीब से, जो हो गया दीदार उनका,
अब हमारा इस तरह यूँ, बेहाल होना तो लाज़मी है।

हमारी मुस्कान ने तुम्हारे मन पर, किया तो होगा कुछ असर,
अब तुम्हारे भी ज़ेहन में, हमारा ही ख्याल होना तो लाज़मी है।

जब तुम्हारी आँखों ने देख लिया है चेहरा हमारा,
अब तुम्हारे भी गालों का, लाल होना तो लाज़मी है।

जब तुमको मान ही लिया, हमने खुदा अपना,
अब आपके कदमों में, निहाल होना तो लाज़मी है।

हमने इतने अरमानों से, अपने दिल में जो बसाई है,
अब उस मूरत का, बेमिसाल होना तो लाज़मी है।

उस एक पल ने कर दिया है, हमपर कुछ असर ऐसा,
हमारी बातों में, ज़िक्र आपका, सालों साल होना तो लाज़मी है।

————-शैंकी भाटिया
अक्टूबर 5, 2016

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