Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2017 · 1 min read

स्मृति शेष

वो पके फल सी थीं।कभी भी जीवन रूपी वृक्ष से टपकने को थीं।भला कोई अमरत्व का पान कर इस दुनिया में थोड़े ही आता है।अतः उनका जाना तो तय था सो वह चलीं गई।दूर बहुत दूर,जहाँ से कोई लौट कर वापस नहीं आता है।हो सकता है उनका जाना किसी को तसल्ली दे गया हो,किसी ने राहत की साँस ली हो,किसी की परेशानियों का अन्त हो गया हो।क्या वाकई?क्या इतनी ही उनकी महत्ता थी?
आज सरस्वती पूजा है।सोच रहीं हूँ क्या-क्या बनाऊं।पति से पूछा-“अजी खाने में क्या बनाऊँ”?
” अरे,भूल गई क्या,आज के दिन अम्मा दालभरी पूरियाँ,खीर-पूआ और चने का हलुवा बनाया करती थीं ।तुम भी वही बनाओ न”।
बड़े शौक से मैंने सारे व्यंजन बनाए।
अम्मा को पढ़ने -लिखने का बहुत शौक था।उनके जमाने में लड़कियाँ कहाँ विद्यालय जाती थीं,सो वो भी नहीं जा पाईं।भाइयों की किताबों से,उनकी मदद से पढ़ना-लिखना सीख गईं।जीवन भर धर्मग्रंथ तथा अन्य किताबें पढ़ती रहीं।माँ शारदे का मंत्र ,स्त्रोत ,भजन और आरती उन्हें कंठस्थ था।
आज महसूस होता है वह एक महिला नहीं एक परंपरा थी,एक युग के संस्कृति की,रीति रिवाजों की,पीढ़ियों की दास्तान थी।
क्या उनके जाने से एक विशाल वृक्ष की छाया से महरूम हो जाना नहीं है?
क्या मेरी बातों से आप भी सहमत है?

Language: Hindi
392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
Rajesh vyas
सिर्फ उम्र गुजर जाने को
सिर्फ उम्र गुजर जाने को
Ragini Kumari
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
धैर्य के साथ अगर मन में संतोष का भाव हो तो भीड़ में भी आपके
धैर्य के साथ अगर मन में संतोष का भाव हो तो भीड़ में भी आपके
Paras Nath Jha
भगतसिंह की जवानी
भगतसिंह की जवानी
Shekhar Chandra Mitra
तमाम उम्र काट दी है।
तमाम उम्र काट दी है।
Taj Mohammad
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
मां के आंचल में
मां के आंचल में
Satish Srijan
बाल कविता: मोटर कार
बाल कविता: मोटर कार
Rajesh Kumar Arjun
अल्फाज़
अल्फाज़
हिमांशु Kulshrestha
#शारदीय_नवरात्रि
#शारदीय_नवरात्रि
*Author प्रणय प्रभात*
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
शिवकुमार बिलगरामी के बेहतरीन शे'र
शिवकुमार बिलगरामी के बेहतरीन शे'र
Shivkumar Bilagrami
लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
Seema gupta,Alwar
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
Basant Bhagawan Roy
"गाय"
Dr. Kishan tandon kranti
पिता
पिता
sushil sarna
मातृत्व
मातृत्व
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ठंडक
ठंडक
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
rubichetanshukla 781
प्रेम उतना ही करो
प्रेम उतना ही करो
पूर्वार्थ
डा. तेज सिंह : हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ का स्मरण / MUSAFIR BAITHA
डा. तेज सिंह : हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ का स्मरण / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
A Little Pep Talk
A Little Pep Talk
Ahtesham Ahmad
2759. *पूर्णिका*
2759. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मां
मां
goutam shaw
रंजीत शुक्ल
रंजीत शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
चौथ का चांद
चौथ का चांद
Dr. Seema Varma
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
Loading...