Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2017 · 2 min read

स्त्रित्व की रक्षा

????
कहते है की –
पुत्र कुपुत्र हो सकता है ,
पर माता कुमाता नहीं होती।
तो फिर वह स्त्री कौन है ?
जो गर्भ में ही बेटी होने पर ,
उसे मार देती है।
दुनियां में आने से पहले ही ,
उसका गला घोंट देती है।
?
कहते हैं की माँ अपने बच्चों में
फर्क नहीं करती।
अपने सभी बच्चों को
सामान भाव से प्यार करती है।
तो फिर वह स्त्री कौन है ?
जो अपने बेटों को
देख – देख फूले नहीं समाती।
बेटी से घर का सारा
काम कराती है
?
कहते है की –
माँ बच्चों का हर दर्द
बिन बोले ही समझती है,
तो फिर वह स्त्री कौन है ?
जिसे अपनी बेटी की चीख सुनाई नहीं देती।
उसके चीख – चीख कर मना करने पर भी ,
जबरन ससुराल जाने पर मजबूर करती।
भले ही वहाँ मर जाती है ,
दहेज की आग में जल जाती है।
बस एक ही शिक्षा देती है।
बेटी की डोली ससुराल जाती है
और अर्थी में ही बाहर निकलती है।
फर्क है आज भी समाज में फर्क है।
स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है।
?
जिस दिन हर माँ ‘माँ ’बन जाए।
अपने किसी बच्चों में फर्क न करे।
बेटा – बेटी एक सामान है।
माँ के दिलों में दोनों का सामान स्थान है।
ये दुनिया सुन्दर , अति -सुन्दर बन जाये।
घर प्रथम पाठशाला है ,
माँ पहला गुरु।
अगर बेटा – बेटी दोनों को ,
बराबर का अधिकार और ,
सामान शिक्षा मिले तो ,
इस जगत से अत्याचार मिट जाये।
पहला कदम स्त्री को
स्त्री के लिए बढ़ाना ही होगा।
बेटा – बेटी को सामान बताना ही होगा।
ये भ्रूण ह्त्या ,
बेटी के प्रति हो रहे अत्याचार को मिटाना ही होगा।
अपनी मजबूरियों से आगे निकलकर हर स्त्री को
स्त्रित्व की रक्षा करना ही होगा।
– लक्ष्मी सिंह ???

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की   कोशिश मत करना
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की कोशिश मत करना
Anand.sharma
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
Shivam Sharma
डाइन
डाइन
अवध किशोर 'अवधू'
पानी
पानी
Er. Sanjay Shrivastava
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
Ranjeet kumar patre
हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिव
हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिव
DrLakshman Jha Parimal
दोस्ती के धरा पर संग्राम ना होगा
दोस्ती के धरा पर संग्राम ना होगा
Er.Navaneet R Shandily
वही दरिया के  पार  करता  है
वही दरिया के पार करता है
Anil Mishra Prahari
2550.पूर्णिका
2550.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
manjula chauhan
बालचंद झां (हल्के दाऊ)
बालचंद झां (हल्के दाऊ)
Ms.Ankit Halke jha
माॅर्डन आशिक
माॅर्डन आशिक
Kanchan Khanna
धूल के फूल
धूल के फूल
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
डॉ.सीमा अग्रवाल
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
Buddha Prakash
स्वयं को स्वयं पर
स्वयं को स्वयं पर
Dr fauzia Naseem shad
खुशनसीबी
खुशनसीबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तू शौक से कर सितम ,
तू शौक से कर सितम ,
शेखर सिंह
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
Kumar lalit
आंख में बेबस आंसू
आंख में बेबस आंसू
Dr. Rajeev Jain
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
कवि दीपक बवेजा
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
'अशांत' शेखर
नारी
नारी
Dr Parveen Thakur
शादी की अंगूठी
शादी की अंगूठी
Sidhartha Mishra
*पापा (बाल कविता)*
*पापा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
उसकी गली तक
उसकी गली तक
Vishal babu (vishu)
सौंदर्यबोध
सौंदर्यबोध
Prakash Chandra
💐अज्ञात के प्रति-147💐
💐अज्ञात के प्रति-147💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बेवफा
बेवफा
RAKESH RAKESH
Loading...