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4 Jan 2017 · 2 min read

सोलहवा साल

सोलहवें साल की अंतिम कलम घिसाई

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अठारह मात्रिक ।कहीं पर लय भंग हो सकती है।
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साल सोलहवे तुझे याद करूँ।
तेरा दिल से मैं साधुवाद करूँ।

जाने अनजाने लोग मिलाये।
कुछ रूठे कुछ मन को भाये।
कितने क्या रूप दिखाये मुझको ।
सबने मुझको नव पाठ पढ़ाये।
स्नेह बना रहे सब का सतरा में
मन से मैं केवल फरियाद करूँ।
तेरा दिल से मैं साधुवाद करूँ।

कुछ दिल के इतने ख़ास हो गए।
अल्प समय में इतिहास हो गए।
जिनके जाने से उदास हुआ मन
मानो दिल से खल्लास हो गए।
मन यादों से बस आबाद करूँ।
साल सोलहवें तुझे याद करूँ।
तेरा दिल से मैं साधुवाद करूँ।

जिनने भी मुझसे नफरत पाली।
मुझको दी जी भर कर के गाली।
मै कैसे नाम भुला दूँ उनका
जो मज़बूती उन ने दे डाली।
उनका अन्तमन धन्यवाद करूँ।
साल सोलहवे तुझे याद करूँ।

मेरे कारण जो हैरान हुए।
कर प्यार मुझे परेशान हूए।
रहे सर्वदा मधु ऋण में उनके।
जो मेरे लिये भगवान हूए।
उनके लिये मन से मुराद करूँ।
साल सोलहवे तुझे याद करूँ।

जो अपना बना मूँह मोड़ गए।
कर बेवफाई दिल तोड़ गए।
कोई नही अपना दुनियां में
यह सीख कीमती छोड़ गए।
फिर क्यों जीवन में अवसाद करूँ।
साल सोलहवें तुझे याद करूँ।

सबसे जियादा मेरे भगवान।
मानूँ सदा मैं तेरा अहसान।
मुझको रोज़ सम्भाला ईश्वर।
जबकि मैं तो था मूरख नादान।
करना किरपा ‘मधु’सम्वाद करूँ।
तेरा दिल से मैं साधुवाद करूँ।

नूतन वर्ष करें उत्कर्ष नया।
इतना मुझ पर करना देव दया।
खुशियों से महके मिलनेवाले।
कष्टो से करो सबको निर्भया।
यह अनुनय विनय निनाद करूँ।
स्वागतम् नव वर्ष उन्माद करूँ।
सबका दिल से मैं साधुवाद करूँ।

*****मधु गौतम

Language: Hindi
197 Views
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