Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2016 · 3 min read

सोनागाछी – कमाठीपुरा – जीबी रोड

सोनागाछी – कमाठीपुरा – जीबी रोड

सोनागाछी – कोलकाता, कमाठीपुरा – मुंबई, जीबी रोड – दिल्ली, ये नाम बहुत जाने पहचाने से लगते हैं | इन पर कितने ही बार प्रोग्राम बने हैं और डिस्कवरी चैनल, नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर कितनी ही बार टेलीकास्ट हुए हैं | कितनी ही बार खबरिया चैनलों पर प्राइम टाइम में स्पेशल रिपोर्ट दिखाई गयी है और न जाने कितनी ही बार समाचार पत्रों में इनके बारे में लिखा जा चुका है |

इनके नाम सुनकर लगता है ये जगहें बहुत खास होंगी | जरूर यहाँ पर कोई ऐतिहासिक धरोहर होगी जो सभी इस ओर खींचे चले आते हैं | लगभग पूरे देश में ये नाम जाने और पहचाने जाते होंगे | जितने भी वयस्क इन नामों से परिचित हैं वो ये भी जानते हैं कि इन जगहों का नाम इतना क्यों है ? जो लोग पहली बार दिल्ली, कोलकाता, मुंबई जाते हैं इन जगहों पर जाकर ज़रूर देखना चाहते हैं |

दरअसल ये नाम हमारे देश पर बदनुमा दाग हैं | जो एक ऐसे काम के नाम से जाने जाते हैं जो कि हमारे देश में अभी तक गैरकानूनी है | ये देहव्यापार की देश की सबसे बड़ी मंडियां हैं | यहाँ पर खुले आम जिस्मफरोशी का काला धंधा चलता है |

मुझे हैरानी होती है जब हमारे देश में देह व्यापार को कानूनी मान्यता ही नहीं है तो फिर ये इतने खुलेआम चल कैसे रहा है | जहाँ तक मेरा अंदाजा है दूर दराज के छोटे छोटे से गाँवों से भोली भाली लड़कियों को बहला फुसलाकर, नेपाल से तस्करी के माध्यम से, या कहीं से छोटी छोटी बच्चियों अपहरण करके, प्यार के जाल में फंसाकर यहाँ लाकर इस धंधे में डाल दिया जाता है और ये मासूम लड़कियां यहाँ नरक जैसी ज़िन्दगी जीने को मजबूर होती हैं |

कोलकाता और मुंबई तो मैं नहीं गया लेकिन मैं कुछ सालों तक दिल्ली में ज़रूर रहा हूँ | इस बीच मुझे एक बार जीबी रोड जाने का अवसर मिला | वहां जो मैंने देखा उसे देखकर मैं हैरान था | मैं अपने बॉस की गाड़ी से ड्राईवर के साथ उस रोड से निकला तो ड्राईवर ने मुझसे पूछा, ” सर, आपको पता है ये कौन सी जगह है ?” मेरे न में जवाब देने पर उसने बताया कि हम जीबी रोड पर हैं | मैंने भी जीबी रोड का नाम पहले सुन रखा था लेकिन वहां जाने का पहला अवसर था | मैंने नजर उठाकर ऊपर खिडकियों की तरफ देखो | मैंने देखा, लगभग हर खिड़की पर लड़कियां और औरतों के समूह थे जिनका कमर से ऊपर का ही हिस्सा दिखाई दे रहा था | वो सभी लड़कियां/स्त्रियाँ अंतःवस्त्रों में खिडकियों के पास खड़ी थी और ग्रिल वाली खिडकियों से हाथ बाहर निकाल कर लोगों को अपने पास आने का इशारा कर रही थी | वही एक जगह का नजारा तो निराला ही था | उस जगह पर सड़क के एक तरफ खिडकियों से ये इशारेबाजी हो रही थी वहीँ सड़क के दूसरी ओर पुलिस चौकी भी थी |

ये देखकर तो मेरा सर ही घूम गया | ये क्या हो रहा है | मैं सोच रहा था क्या ये वाकई में गैरकानूनी काम है जो इतने खुले आम थाने के ही सामने चल रहा है | न जाने कितने ही परिवारों की इज्जत इन कोठों में क़ैद होंगी ? कितने ही परिवार अपनी बच्चियों के गुमशुदा होने की तारीख अभी तक याद करते होंगे ? क्या हमारा कानून इतना सस्ता है जो इन सबको इस नरक से मुक्ति नहीं दिलवा सकता बल्कि अपने ही सामने इस कुकृत्य को होते हुए देखता है |

इन जिस्म की मंडियों में रोज न जाने कितनी ही आहें और कराहें उठती होंगी और हर दिन कितने ही अरमानों का क़त्ल होता होगा | कितने ही ख़्वाबों की कब्रगाह होंगी ये मंडियां और इन जैसी और भी मंडियां | ये तो सिर्फ तीन नाम हैं, जो अक्सर सुनने में आते हैं | अभी कुछ दिनों पहले में एक लेख पढ़ रहा था जिसमे भारत की टॉप १० देह व्यापार मंडियों के नाम दिए थे | जब मैंने उसमे धर्मनगरी बनारस का भी नाम देखा तो मेरे आश्चर्य की कोई सीमा ही नहीं रही |अगर इन मंडियों की खाक छानी जाए तो कितने ही परिवारों की खुशियाँ लौट आयें और कितनी ही बच्चियों के लबों की मुस्कान वापस आ जाए |

मेरे मन में आज भी एक ही सवाल है जब जिस्मफरोशी गैरकानूनी है तब भी ये जिस्म की मंडियाँ कैसे इस तरह से बेख़ौफ़ होकर चल रही हैं |

ये विडियो मैंने नेट से साभार लिया गया है जो आपको जीबी रोड की कुछ झलक तो दिखला ही देगा :

http://www.punjabspectrum.co/misc/reality-gb-road-red-light-area-delhi/

सन्दीप कुमार
मौलिक, अप्रकाशित
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित
ब्लॉग : https://sandeip01.blogspot.in/2016/06/blog-post_3.html

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 6 Comments · 2067 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे वतन मेरे वतन
मेरे वतन मेरे वतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
No battles
No battles
Dhriti Mishra
हरा नहीं रहता
हरा नहीं रहता
Dr fauzia Naseem shad
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
बसंत
बसंत
Bodhisatva kastooriya
-जीना यूं
-जीना यूं
Seema gupta,Alwar
“पतंग की डोर”
“पतंग की डोर”
DrLakshman Jha Parimal
पाँच सितारा, डूबा तारा
पाँच सितारा, डूबा तारा
Manju Singh
कोई अपनों को उठाने में लगा है दिन रात
कोई अपनों को उठाने में लगा है दिन रात
Shivkumar Bilagrami
नज़्म - झरोखे से आवाज
नज़्म - झरोखे से आवाज
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बेचारा जमीर ( रूह की मौत )
बेचारा जमीर ( रूह की मौत )
ओनिका सेतिया 'अनु '
बड़ी मुश्किल है
बड़ी मुश्किल है
Basant Bhagawan Roy
बेटियां ज़ख्म सह नही पाती
बेटियां ज़ख्म सह नही पाती
Swara Kumari arya
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता हैं,
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता हैं,
Jay Dewangan
*****हॄदय में राम*****
*****हॄदय में राम*****
Kavita Chouhan
आंखों में
आंखों में
Surinder blackpen
❤️सिर्फ़ तुझे ही पाया है❤️
❤️सिर्फ़ तुझे ही पाया है❤️
Srishty Bansal
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
पति पत्नि की नोक झोंक व प्यार (हास्य व्यंग)
पति पत्नि की नोक झोंक व प्यार (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
👤
👤"जिसका स्थिरता और विश्वसनीयता
*Author प्रणय प्रभात*
ये  भी  क्या  कमाल  हो  गया
ये भी क्या कमाल हो गया
shabina. Naaz
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
Kishore Nigam
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Ajj fir ek bar tum mera yuhi intazar karna,
Ajj fir ek bar tum mera yuhi intazar karna,
Sakshi Tripathi
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
रामबाण
रामबाण
Pratibha Pandey
Loading...