Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2017 · 2 min read

सोनपरी

सोनपरी मैं सोनपरी, परियों के महल में रहती हूं, अम्बर छूने की आशा में बस पंख फैलाये उड़ती हूं सोनपरी मैं सोनपरी…..
आूँखें सूरज सी चमकीली, गालों पर सूरज की लाली, मुख पर सूरज का तेज लिए, सूरज से होड़ मैं करती हूं, सोनपरी मैं सोनपरी..
मेरे मन की कोई डोर नहीं, मेरे सपनों का कोई छोर नहीं,खुली हवा में पंछी सी, बादल को छू के निकलती हूं, सोनपरी मैं सोनपरी…..
बादल के उजले आँचल से, उजला मुझको सपना आया, सपनो की रंगी दुनिया से , जैसे इन्द्रधनुष भी शरमाया,
मेरे मन ने एक उड़ान भरी , एक झील किनारे मैं उतरी , कैसा वो सपन सुहाना था , उस झील में महल पुराना था,
उस महल में पंछी गाते थे , किन्नर गण गीत सुनाते थे , बदली बन खुशियां छाती थी बन बूँदें बरसी जाती थी,
धन धानो से भण्डार भरे , फल फूलों के बागान खड़े , जगमग करती हर एक दिशा, हीरे मोती हर ओर जडे ,
छम छम करती सखियाँ मेरी , खन खन करती खुशियां मेरी, कोना कोना उल्लास भरा , बस खाली था वो एक कमरा,
दरवाज़े से बिन आहट के , बिन दस्तक के , बिन हलचल के , उस कमरे में ज्यों कदम रखा , हर ओर मेरा ही अक्स दिखा,
आइनों की उस दुनिया में , सच्चाई जैसे चीख रही , हीरे मोती सब हवा हुए , एक दूजी दुनिया दीख रही,
इस दुनिया से अनजान हूं मैं , शायद इसमें मेहमान हूं मैं , वीराना है हर ओर जहां , सन्नाटा भी है शोर जहाँ ,
भूखे नंगो की भीड़ बड़ी , दाने दाने पर टूटी पड़ी , रोटी को तरसती आूँखों में , सपनो के लिए है जगह कहाँ ,
दुनिया के किस कोने में पड़ी , मेरी दुनिया से है कितनी बड़ी ? भूखों की ये गिनती सारी, ओह !! कैसी भयानक बीमारी !!
इस जगह से मुझको जाना है , मेरा घर वो महल पुराना है , खुशियां बसती हर ओर जहां, ऐसा संसार बनाना है ,
इंसानो से खाली बस्ती , जहां जान भी रोटी से सस्ती , सपनो में भी इस दुनिया में, मुझे वापस कभी न आना है,
अब…………………
उठ जा सोनू, उठ जा गुड़िया , मेरी चाँद सरीखी सी बिटिया , मेरी प्यारी जादू की छड़ी , सोनपरी मेरी सोनपरी ….
अगंड़ाई ले मैं उठ बैठी , फिर फटी फ्रॉक पर नज़र टिकी , माँ की धुंधलाती आूँखों से , सुई फिर बेईमानी कर बैठी,
मेरी आूँखों के सपनो में , माँ के सपने भी बसते है , पर दुनिया की सच्चाई में , बन आँसू आँख से गिरते है ,
सपनो के महल बनाने से , सच का सम्मान नहीं घटता , जिन आूँखों में दमके सूरज , वहां अँधेरा नहीं टिकता ,
मुझको अब काम पे जाना है , घर का सामान भी लाना है , इस “आठ बरस” की उम्र में भी , ये घर परिवार चलाना है,
हर घर में परियां बसती है , हर मन में खुशियां सजती है , अपने हिस्से की खुशियों को , मुझको ही ढूंढ के लाना है ,
सोनपरी मैं सोनपरी , परियों के महल में रहती हूँ …….

810 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जो भक्त महादेव का,
जो भक्त महादेव का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दोहे
दोहे
दुष्यन्त 'बाबा'
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे
Bodhisatva kastooriya
जाने किस कातिल की नज़र में हूँ
जाने किस कातिल की नज़र में हूँ
Ravi Ghayal
21 उम्र ढ़ल गई
21 उम्र ढ़ल गई
Dr Shweta sood
तुम्हारा प्यार साथ था गोया
तुम्हारा प्यार साथ था गोया
Ranjana Verma
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
दीदार
दीदार
Vandna thakur
माँ
माँ
Er. Sanjay Shrivastava
शिक्षक हमारे देश के
शिक्षक हमारे देश के
Bhaurao Mahant
■ बड़ा सवाल...
■ बड़ा सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
Ranjeet kumar patre
शोख- चंचल-सी हवा
शोख- चंचल-सी हवा
लक्ष्मी सिंह
भय की आहट
भय की आहट
Buddha Prakash
क्या बात है फौजी
क्या बात है फौजी
Satish Srijan
* ज़ालिम सनम *
* ज़ालिम सनम *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मां
मां
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
पत्ते बिखरे, टूटी डाली
पत्ते बिखरे, टूटी डाली
Arvind trivedi
मालूम है मुझे वो मिलेगा नहीं,
मालूम है मुझे वो मिलेगा नहीं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
Taj Mohammad
✍️ मसला क्यूँ है ?✍️
✍️ मसला क्यूँ है ?✍️
'अशांत' शेखर
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
#शिव स्तुति#
#शिव स्तुति#
rubichetanshukla 781
*जो होता पेड़ रूपयों का (सात शेर)*
*जो होता पेड़ रूपयों का (सात शेर)*
Ravi Prakash
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
झूठा घमंड
झूठा घमंड
Shekhar Chandra Mitra
समझदार तो मैं भी बहुत हूँ,
समझदार तो मैं भी बहुत हूँ,
डॉ. दीपक मेवाती
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
Loading...